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पाक जाने वाला पानी रोकने से बढ़ सकता फसल का उत्पादन, तीन दशक में पाक गया 15 से 20 एमएएफ पानी

पुलवामा आतंकी हमले के बाद केेंद्र सरकार ने पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने की घोषणा की है। पिछले तीन दशक से व्यास और सतलुज नदियों का 15 से 20 एमएएफ पानी पाकिस्तान जा चुका है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 01:01 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 01:01 PM (IST)
पाक जाने वाला पानी रोकने से बढ़ सकता फसल का उत्पादन, तीन दशक में पाक गया 15 से 20 एमएएफ पानी
पाक जाने वाला पानी रोकने से बढ़ सकता फसल का उत्पादन, तीन दशक में पाक गया 15 से 20 एमएएफ पानी

जयपुर, जागरण संवाददाता। पुलवामा आतंकी हमले के बाद केेंद्र सरकार ने पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकने की घोषणा की है। पिछले तीन दशक से व्यास और सतलुज नदियों का 15 से 20 एमएएफ (मिलीयन एकड़ फीट) से अधिक पानी पाकिस्तान जा चुका है। इतने पानी से इंदिरा गांधी नहर को लगातार तीन साल तक चलाया जा सकता है।

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राजस्थान में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश को पाक जाने वाले व्यास और सतलुज नदियों के पानी का 20 फीसदी हिस्सा भी यदि मिल जाए तो इंदिरा गांधी नहर के साथ ही गंगनहर और भाखड़ा नांगल बांध में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध हो जाएगा। इससे किसानों को सिंचाई के लिए पूरे साल पानी की कमी नहीं आएगी। जल संसाधन और कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि इससे फसलों का उत्पादन करीब 20 से 25 फीसदी तक बढ़ जाएगा।

ऐसे रूकेगा पानी

अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान फीडर और फिरोजपुर फीडर के जीर्णोद्धार के साथ ही हुसैनीवाला हैडवर्क्स के गेटों की मरम्मत होने से पाक जाने वाला पानी आसानी से रोका जा सकेगा। व्यास और सतलुज नदियां जर्जर हालत में है। इस कारण दोनों नदियों में 30 हजार से कम होकर 20 हजार क्यूसेक ही जल ग्रहण क्षमता रह गई है। बारिश के मौसम में हैडवर्क्स पर पानी की आवक करीब एक लाख क्यूसेक प्रतिदिन हो जाती है तब काफी पानी बहकर पाकिस्तान चला जाता है।

अधिकारियों का कहना है कि रावी के पानी को पाक जाने से रोकने के लिए शाहपुर कंडी बांध के निर्माण का काम पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच विवाद एवं केेंद्र सरकार द्वारा पर्याप्त पैसा नहीं देने के कारण समय पर पूरा नहीं हो पाया। इसका निर्माण होने से रावी के पाक जाने वाले पानी का उपयोग राजस्थान कर सकेगा। इंदिरा गांधी नहर काफी क्षतिग्रस्त हो गई है। इस नहर की क्षमता करीब 18,500 क्यूसेक पानी की हैै,लेकिन क्षतिग्रस्त होने के कारण 12 हजार क्यूसेक से अधिक पानी इसमें नहीं रह सकता,यदि इस नहर की मरम्मत हो जाए तो प्रदेश के श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़,बीकानेर,चूरू,नागौर,जैसलमेर और बाड़मेर सहित दस जिलों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सकेगा।


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