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Rajasthan: वसुंधरा राजे समर्थक विधायक व नेता एकजुट होने लगे, भाजपा में भी बढ़ रही आपसी खींचतान

Rajasthan BJP राजस्थान में भाजपा नेताओं में चल रही आपसी खींचतान के बीच वसुंधरा राजे समर्थक विधायक और नेता एकजुट होने लगे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 05:57 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 05:57 PM (IST)
Rajasthan: वसुंधरा राजे समर्थक विधायक व नेता एकजुट होने लगे, भाजपा में भी बढ़ रही आपसी खींचतान
Rajasthan: वसुंधरा राजे समर्थक विधायक व नेता एकजुट होने लगे, भाजपा में भी बढ़ रही आपसी खींचतान

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। Rajasthan BJP: राजस्थान में चल रहे सियासी संघर्ष के बीच भाजपा भी दो खेमों में बंटी हुई नजर आ रही है। एक खेमा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया और विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ का है, तो दूसरा खेमा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का है। कांग्रेस की आपसी फूट का लाभ उठाने के लिए भाजपा ने कसरत तो शुरू की। हालांकि भाजपा नेताओं को कांग्रेस की फूट का लाभ अब तक नहीं मिल सका है। इसका प्रमुख कारण पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदा प्रदेश भाजपा नेतृत्व के प्रति नाराजगी है। वसुंधरा राजे चाहती हैं कि पार्टी की प्रदेश इकाई में सभी निर्णय उनकी सहमति से लिए जाएं।

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वहीं, शेखावत, पूनिया और राठौड़ चाहते हैं कि संगठन से वसुंधरा राजे की छाया को धीरे-धीरे खत्म किया जाए। भाजपा नेताओं में चल रही आपसी खींचतान के बीच वसुंधरा राजे समर्थक विधायक और नेता एकजुट होने लगे हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश मेघवाल, पूर्व मंत्री युनूस खान व विधायक प्रताप सिंह सिंघवी पिछले कुछ दिनों से वसुंधरा राजे समर्थकों को एकजुट करने में जुटे हैं। एक बातचीत में इन नेताओं ने कहा कि 72 सदस्यीय भाजपा विधायक दल में 30 से 32 विधायक वसुंधरा राजे समर्थक हैं। इन विधायकों में इस बात की नाराजगी है कि पार्टी में जो भी फैसले पिछले कुछ दिनों से लिए जा रहे हैं, उनमें वसुंधरा राजे की भागीदारी नहीं हो रही है।

इसी नाराजगी के चलते वसुंधरा राजे समर्थक पार्टी की ओर से आयोजित कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो रहे। वसुंधरा समर्थकों ने पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाना शुरू किया है कि अब उनकी राय से फैसले होने चाहिए। पार्टी की आपसी खींचतान का ही नतीजा है कि एक तरफ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित संगठन के पदाधिकारी दबे स्वरों में अशोक गहलोत को गिराने की बात कर रहे हैं, वहीं वसुंधरा राजे समर्थक इसके पक्ष में नहीं है। कैलाश मेघवाल ने पिछले दिनों साफ किया कि वे किसी निर्वाचित सरकार को गिराने के पक्ष में नहीं हैं। भाजपा नेताओं की यह आपसी खींचतान आगामी दिनों में और बढ़ सकती है।


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