साढ़े आठ लाख सरकारी कर्मियों व ढाई लाख पेंशनरों को मिलेगा बढ़े वेतन का लाभ
राजस्थान सरकार ने कर्मचरियों की सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग मान ली है।
नईदुनिया, जयपुर। किसानों की कर्जमाफी और कर्मचारियों की सातवें वेतन आयोग की मांग के बीच फंसी राजस्थान सरकार ने कर्मचरियों की सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग मान ली है। राज्य के साढ़े आठ लाख सरकारी कर्मचारियों और ढाई लाख पेंशनरों को अक्टूबर से बढ़े हुए वेतन का लाभ मिल जाएगा। वेतन में करीब 14 फीसद की बढ़ोतरी होगी और सरकार पर करीब 10 हजार 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
आर्थिक संकट से गुजर रही राज्य सरकार हालांकि कर्मचारियों के वेतन आयोग के लिए पहले ही तैयार थी और इसके लिए कमेटी गठित कर चुकी थी, लेकिन माना जा रहा था कि इस बार भी नए वेतनमान का लाभ पिछली बार की तरह कार्यकाल के अंतिम दिनों में दिया जाएगा। राजस्थान में छठा वेतन आयोग लागू होने के समय भी वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री थीं और उन्होंने दिसंबर 2008 में हुए विधानसभा चुनाव से तीन माह पहले सितंबर 2008 में नया वेतनमान लागू किया था। ऐसे में इस बार भी यही उम्मीद की जा रही थी कि नया वेतनमान अगले वर्ष लागू होगा। बजट में इसके लिए प्रावधान भी नहीं किया गया था।
इसके बावजूद वेतन आयोग इसी वित्तीय वर्ष में लागू कर दिया गया। यही नहीं कर्मचारियों को दीपावली का बोनस तो पिछले वर्ष ही सातवें वेतन आयोग के अनुरू प दे दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि इस जल्दबाजी के पीछे बड़ा कारण कर्मचारियों की बढ़ती नाराजगी रही। राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने जाते-जाते कर्मचारियों के लिए कई तरह की घोषणाएं कर दी थीं। पद बढ़ाए गए थे और कर्मचारियों को कई तरह के लाभ दिए गए थे। मौजूदा सरकार ने आने के बाद इन लाभों में एक-एक कर कटौती की और पदों में कटौती कर कई निर्णय उलट दिए। इससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही थी। इसके अलावा केंद्र सरकार पहले ही इसे लागू कर चुकी थी। ऐसे में कर्मचारियों का दबाव बढ़ता जा रहा था।
किसानों को करना पड़ सकता है दो-तीन माह का इंतजार
इसी बीच कर्जमाफी को लेकर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ। स्थिति बिगड़ने लगी। उधर, कांग्रेस भी इसी मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी कर रही थी। ऐसे में सरकार थोड़ी भी देर करती तो हालात और ज्यादा खराब हो सकते थे। इसे देखते हुए सरकार ने किसानों से कर्जमाफी का वादा तो कर लिया, लेकिन इसके लिए कमेटी बना दी। कमेटी को एक माह का समय दिया गया है। कमेटी की रिपोर्ट के आने के बाद सरकार के स्तर पर इसका अध्ययन होगा और फिर कर्ज माफी की राशि और प्रक्रिया तय की जाएगी। ऐसे में किसानों को अभी भी कम से कम दो से तीन माह का इंतजार करना पड़ेगा।