संसदीय सचिवों के मामले में वसुंधरा सरकार को थोड़ी राहत
संविधान के अनुच्छेद 164 के मुताबिक राज्यों की विधानसभा में कुल विधायकों के 15 प्रतिशत और न्यूनतम 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान सरकार के 10 संसदीय सचिवों की नियुक्ति वैध है अथवा नहीं इसको लेकर अब 9 मई बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। प्रदेश में सभी संसदीय सचिव राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। इनमें शत्रुघन गौतम,सुरेश रावत,लादूराम विश्नोई,जितेन्द्र गोठवाल,विश्वनाथ मेघवाल,नरेन्द्र नागर,ओमप्रकाश हुडला,कैलाश वर्मा,भीमा भाई और भैराराम सियोल शामिल है।
राजस्थान हाईकोर्ट में इनकी नियुक्ति रद्द करने को लेकर एक याचिका विचाराधीन है,इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता नरपत मल लोढ़ा ने कोर्ट में संसदीय सचिवों को भी पक्षकार बनाए जाने की बात कही। लोढ़ा का कहना था कि जिन संसदीय सचिवों से जुड़ा मामला है,उन्हे पक्षकार बनाया जाना बेहतर होगा। इस पर कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए 9 मई की तारीख तय कर दी।
जानकारी के अनुसार सरकार का मानना है कि संसदीय सचिवों को पक्षकार बनाए जाने के बाद मामला लंबा खींच सकता है और विधानसभा चुनाव होने में अब मात्र 6 माह का समय शेष बचा है। इस कारण सरकार को राहत मिल जाएगी।
उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 164 के मुताबिक राज्यों की विधानसभा में कुल विधायकों के 15 प्रतिशत और न्यूनतम 12 मंत्री बनाए जा सकते हैं। राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में अधिकतम 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं,जो बना दिए गए। लेकिन सरकार ने राजनीतिक रूप से जातिगत समीकरण साधने के लिए 10 संसदीय सचिव और बना दिए। संवधान के बिजनेस रूल्स में संसदीय सचिवों को मंत्री माना गया है। राज्य में संसदीय सचिवों को मंत्रियों के समान सुविधा और वेतन भत्ते दिए जा रहे हैं ।