फोन टैपिंग मामले को लेकर राजस्थान विधानसभा में हंगामा, बीजेपी विधायक निलंबित
सीएम बोले बीजेपी का आपसी झगड़ा और वर्चस्व की लड़ाई। सदन में बताए सरकार किस आधार पर लोगों के फोन टेप हुए थे? सबूत और नाम के बिना सदन में चर्चा की अनुमति नहीं दे सकते। मामलों की हो चुकी समीक्षा सरकार ने माना हुई थी फोन टैपिंग।
जागरण संवाददाता, जयपुर : फोन टैपिंग मामले को लेकर राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को जोरदार हंगामा हुआ । भाजपा विधायकों ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए फोन टैपिंग का मुद्दा उठाने का प्रयास किया तो स्पीकर डॉ.सी.पी.जोशी ने इसकी मंजूरी नहीं दी । इस पर भाजपा विधायकों ने शोरशराबा शुरू कर दिया । सत्तापक्ष कांग्रेस के विधायकों ने बीच में टोका तो भाजपा विधायकों ने हंगामा तेज कर दिया । हंगामे के कारण सदन की कार्रवाई चार बार आधा-आधा घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी । फिर भी सदन में शांति नहीं हुई तो स्पीकर ने उच्च शिक्षा पर अनुदान मांगों पर बहस शुरू करा दी । इस दौरान भाजपा विधायक हंगामा करते रहे। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेेमे की बगावत के समय फोन टैपिंग मामले को लेकर भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और कालीचरण सराफ ने सदन में स्थगन प्रस्ताव पेश किया था,जिसे स्पीकर ने खारिज कर दिया । इस पर शून्यकाल में भाजपा विधायकों ने वेल में पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
सदन में बताए सरकार, किस आधार पर लोगों के फोन टेप हुए थे
विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सरकारी मुख्य सचेतक ने एक एफआईआर पुलिस व एसओजी में दर्ज कराई थी उसका आधार फोन टैपिंग ही था । इससे यह तय हो गया कि सरकार की किस एजेंसी ने फोन टेप कराए । सरकार को सदन में यह बताना चाहिए की किस आधार पर किन-किन लोगों के फोन टेप हुए थे । उन्होंने कहा कि हम यही जानना चाहते हैं कि गृह विभाग की अनुमति लेकर फोन टेप हुए या नहीं । मुख्य सचेतक द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर का क्या आधार था।
सबूत और नाम के बिना सदन में चर्चा की अनुमति नहीं दे सकते
उन्होंने कहा हम इस मामले पर आज चर्चा कराए बिना आगे सदन की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ने देंगे । इस पर स्पीकर ने कहा कि यदि मेरे फैसले पर आपत्ति है तो विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है । स्पीकर ने कहा,राठौड़ के स्थगन में लिखा है कि सांसदों, विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों के बिना अधिकृत प्राधिकारियों के फोन टैप करवाए गए। विपक्ष ने इसके सबूत नहीं दिए। सबूत और नाम के बिना सदन में चर्चा की अनुमति नहीं दी जा सकती।
विधायक मदन दिलावर पर निलंबन का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित
हंगामे के बीच संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने बीजेपी विधायक मदन दिलावर को सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव रखा,इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। उधर इस मामले में सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर कहा कि,मैं इस मामले में 14 अगस्त को पूरी बात रख चुका हूं । ऐसा लगता है कि बीजेपी आपसी झगड़ा और वर्चस्व की लड़ाई है ।
मामलों की हो चुकी समीक्षा, सरकार ने माना, हुई थी फोन टैपिंग
दरअसल,भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के सवाल के जवाब में सरकार का जवाब आया था कि हां,फोन टैपिंग सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर हुई है । नवंबर,2020 तक के सभी मामलों की मुख्य सचिव के स्तर पर समीक्षा की जा चुकी है। हालांकि सरकार के जवाब में किसी मंत्री या विधायक का फोन टेप होने की बात नहीं कही गई। लेकिन सराफ ने जुलाई और अगस्त में फोन टैपिंग से जुड़ा सवाल पूछा था। उल्लेखनीय है कि पायलट खेमे के 18 विधायकों द्वारा पिछले साल जुलाई माह में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत की गई थी ।
सीएम के ओएसडी के वॉट्सएप ग्रुप से ऑडियो हुआ था वायरल
इसके बाद कुछ ऑडियो जारी किए गए थे जिनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा व संजय जैन नामक व्यक्ति की आवाज होने का दावा किया गया था । यह ऑडियो सीएम के ओएसडी के वॉट्सएप ग्रुप से वायरल होने की बात सामने आई है। उधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।