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Rajasthan: रॉयल लुक देती है मेवाड़ की अनूठी ठीकरी कला

Royal Look. उदयपुर में दो सौ से अधिक कलाकार इसी कला से जुड़े हुए हैं। ठीकरी कला की मांग अब फ्रांस ब्रिटेन जर्मनी जापान सहित यूरोप और एशिया के विभिन्न देशों में बढ़ी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 19 Jan 2020 12:24 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 12:24 PM (IST)
Rajasthan: रॉयल लुक देती है मेवाड़ की अनूठी ठीकरी कला
Rajasthan: रॉयल लुक देती है मेवाड़ की अनूठी ठीकरी कला

उदयपुर, सुभाष शर्मा। Royal Look. मेवाड़ की ठीकरी कला यानी कांच के टुकड़ों से सजी सुंदर कलाकारी। कभी राजस्थान में राजसी ठाठ-बाठ में चार चांद लगाने वाली इस कला की मांग अब देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी बढ़ रही है। पहले जहां राजा-महाराजाओं के महलों और अमीरों की हवेलियों में ही ठीकरी कलाकृतियां पाई जाती थीं, वहीं अब फाइव स्टार होटलों और घरों में भी सजावट के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाने लगा है।

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उदयपुर में दो सौ से अधिक कलाकार इसी कला से जुड़े हुए हैं। ठीकरी कला की मांग अब फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान सहित यूरोप और एशिया के विभिन्न देशों में बढ़ी है। ठीकरी कला का उपयोग छोटे से लेकर समूचे भवन पर किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के दर्पणों, गुलदस्तों से लेकर दीवार पर बनाए जाने वाली हाथी-घोड़े, मोर सहित विभिन्न सुंदर आकृतियां कांच के टुकड़ों से गढ़ी जाती हैं।

छोटी कलाकृतियों को विदेशी पर्यटक, व्यवसायी उदयपुर से खरीदकर ले जाते हैं। वहीं विभिन्न होटल समूह, बड़े घराने अपने संस्थान और मकानों पर ठीकरी कला का काम कराने के लिए उदयपुर से कलाकारों को बुलाते हैं। ठीकरी कला से जुड़े प्रशांत जोशी बताते हैं कि दशक भर पहले तक जहां इसकी मांग कम थी, वहीं अब हैरिटेज लुक का काम बढ़ने से इसकी मांग बेहद बढ़ गई है। इस कलाकृति में भावनाएं जुड़ी होती हैं। असल में यह कला मेवाड़ से जुड़ी हुई है और इसका अपना समृद्ध इतिहास है। मेवाड़ में सैकड़ों साल से ठीकरी कला का काम चलता आ रहा है। इसमें कांच को काटने से लेकर चिपकाने तक का काम हाथों से किया जाता है।

प्रशांत ने बताया कि अब तो देश में भी विभिन्न संस्थानों के दफ्तर और म्यूजियम आदि भी ठीकरी कला का काम कराने लगे हैं। इसमें रंग-बिरंगे कानवेक्स ग्लास का इस्तेमाल होता है।

एक अन्य कारोबारी अरविंद कुमार बताते हैं कि पीओपी बेस पर रंग-बिरंगे कांच के टुकड़ों को चिपकाकर कलाकृतियां बनाई जाती हैं। एक फ्रेम तैयार करने में कई बार महीनों भी लग जाते हैं। यह कलाकृतियां आसान नहीं, इसके लिए काफी मेहनत की जरूरत होती है। छोटी सी गलती भी किए कराए काम को बिगाड़ सकती है।

फिर चलन में राजसी ठाठ

कोठियों, दफ्तरों, होटलों, फार्महाउस में, अब तेजी से रॉयल लुक वाला इंटीरियर चलन में आ रहा है। ठीकरी कला इसमें चार चांद लगा रही है। कई इंटीरियर डिजाइनर इस थीम को अपना रहे हैं। पांच सितारा होटलों के स्वागत कक्षों में ठीकरी आर्ट नजर आने लगा है। ठीकरी कला में दक्ष कलाकारों की मांग बढ़ रही है। पैसे के साथ उसे मेवाड़ी कला को देश-विदेश में फैलाने का अवसर मिलता है।

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