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बेरोजगार युवाओं ने विस.उप चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला, युवाओं का अभियान नौकरी नहीं तो वोट नहीं

बेरोजगार युवाओं ने कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बेरोजगार युवाओं ने नौकरी नहीं तो वोट नहीं का अभियान शुरू किया है। बेरोजगार युवाओं के एक संगठन ने कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा की है।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 12:42 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 12:42 PM (IST)
बेरोजगार युवाओं ने विस.उप चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोला, युवाओं का अभियान नौकरी नहीं तो वोट नहीं
युवाओं का अभियान नौकरी नहीं तो वोट नहीं

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की चार में से तीन विधानसभा सीटों पर उप चुनाव की तारीख घोषित होने के साथ ही बेरोजगार युवाओं ने कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बेरोजगार युवाओं ने नौकरी नहीं तो वोट नहीं का अभियान शुरू किया है। बेरोजगार युवाओं के एक संगठन ने कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा की है। वहीं दूसरे संगठन ने मतदाताओं को कांग्रेस को वोट नहीं देने को लेकर आग्रह करने का अभियान शुरू किया है। अभियान की शुरूआत सहाड़ा विधानसभा क्षेत्र से की गई है। यहां कांग्रेस के विधायक कैलाश त्रिवेदी की मौत के कारण उप चुनाव हो रहे हैं। इसके बाद राजसमंद और सुजानगढ़ में भी यह अभियान चलाया जाएगा। सु

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जानगढ़ में कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा व राजसमंद में भाजपा की किरण माहेश्वरी के निधन के कारण उप चुनाव हो रहे हैं । तीनों जगह 17 अप्रैल को मतदान होगा और 2 मई को चुनाव परिणाम आएगा। सहाड़ा में बेरोजगार युवाओं ने अरूण शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है, शेष दो सीटों पर अगले दो-तीन दिन में उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। इन युवाओं की मतदाताओं से अपील है कि कांग्रेस का बहिष्कार कर उनके प्रत्याशी को वोट दें। दअरसल, ये युवा प्रतियोगी परीक्षाएं दे रहे हैं, जिनमें किसी की परीक्षा होनी है तो किसी का परिणाम आना है और किसी में नियुक्ति दी जानी है। लंबे समय से नियुक्ति टाली जा रही है। प्रतियोगी परीक्षओं को विभिन्न कारणों से लगातार आगे खिसकाया जा रहा है। राजस्थान एकीकृत बेरोजगार संघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि नौकरी नहीं तो वोट नहीं अभियान 17 अप्रैल तक चलेगा।

उन्होंने बताया कि नर्सिंग भर्ती 2013 से शुरू हुई थी जो अब तक पूरी नहीं हुई। प्रयोगशाला सहायकों की भर्ती 2018 में निकाली गई थी,जो अब तक पूरी नहीं हुई। स्कूली व्याख्याताओं की परीक्षा होने के बाद भी नियुक्ति नहीं दी जा रही। इसी तरह 2013 में सहायक कर्मचारी की भर्ती निकाली गई थी जो अब तक पूरी नहीं हुई। वादे के बावजूद पंचायत सहायकों को नियमित नहीं किया गया। बेरोजगारी भत्ता सभी पंजिकृत बेरोजगारों को नहीं दिया जा रहा है । यह माना जा रहा है कि इन मामलों को लेकर बेरोजगार युवाओं की नाराजगी से सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को परेशानी हो सकती है। 


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