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Rajasthan: उदयपुर के किसान ने गैंती-फावड़े से पथरीली जमीन बना दी उपजाऊ

Kisan Shankarlal Bhil. राजस्थान के उदयपुर जिले के एक किसान ने पिछले साल आत्मनिर्भरता के लिए ऐसा कदम उठाया जो दूसरे लोगों के लिए सीख बन चुका है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 09:54 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 09:54 PM (IST)
Rajasthan: उदयपुर के किसान ने गैंती-फावड़े से पथरीली जमीन बना दी उपजाऊ
Rajasthan: उदयपुर के किसान ने गैंती-फावड़े से पथरीली जमीन बना दी उपजाऊ

संवाद सूत्र, उदयपुर। Kisan Shankarlal Bhil. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों देशवासियों से 'आत्मनिर्भर-भारत' बनाने का आह्वान किया था, लेकिन राजस्थान के उदयपुर जिले के एक किसान ने पिछले साल आत्मनिर्भरता के लिए ऐसा कदम उठाया जो दूसरे लोगों के लिए सीख बन चुका है। किसान परिवार ने पहाड़ी की पथरीली जमीन को गैंती-फावड़े से छीलकर खेत बना दिया। अब वहां फसल लहलहाने लगी है।

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उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर निचला फला गांव के किसान शंकरलाल भील एक साल की अथक मेहनत के बाद अब आत्मनिर्भर बन चुके हैं। उनसे मिली सीख के बाद आसपास के किसानों को भी प्रेरणा मिली है। वह भी अपनी पहाड़ी-पथरीली भूमि को खेत बनाने में जुट गए हैं। शंकरलाल बताते हैं कि वह एक साल पहले तक मजदूरी के लिए उदयपुर जाया करते थे। बताया गया कि पहाड़ी के समीप उनकी जमीन पूरी तरह पथरीली थी और उस पर फसल लेना तो दूर पेड़-पौधे लगाने की भी हिम्मत नहीं होती थी। कई बार मजदूरी नहीं मिलती तो वह अपनी बंजर जमीन को देखकर दुखी हुआ करते थे।

और जुट गया पूरा परिवार

इसी दुख से उपजा संकल्प और शंकरलाल भील और उनके पूरे परिवार ने अपनी भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए मेहनत शुरू कर दी। पूरा परिवार गैंती और फावड़ा लेकर पहाड़ी भूमि को तोड़ने में जुट गए। एक साल की मेहनत के बाद उनकी पूरी पहाड़ी समतल हो गई। बड़ी चट्टानों के लिए जेसीबी भी कुछ घंटे के लिए उपयोग ली गई। वहां से निकले पत्थरों का उपयोग खेत की कच्ची चारदीवारी बनाने में किया, जिससे उनके खेत की सुरक्षा भी हो गई। इसके बाद शंकरलाल और उसके परिवार ने उपजाऊ मिट्टी लाना शुरू किया और इस काम में पूरा एक साल लग गया। इस साल उन्होंने अपने खेत में सब्जी, फल और अनाज की खेती की है। इसके बाद उन्हें अब मजदूरी से होने वाली आय से अधिक पैसा मिलने लगा है। वह बताते हैं कि एक साल में वह दो बीघा भूमि को उपजाऊ बना चुके हैं। शंकरलाल अब जैविक खेती करने में जुटे हैं और वह बताते हैं कि इस कार्य में उन्हें कृषि अधिकारियों की भी मदद मिल रही है।


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