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जीवदया की अनूठी मिसाल है उदयपुर की डाक्टर माला, बेजुबानों के लिए छोड़ी नौकरी और शादी

डॉ. मट्ठा बताती हैं कि कभी वह एक निजी अस्पताल में नौकरी करती थी इन बेजुबानों के लिए समय नहीं निकाल पाती थींं। जिसके चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी।इसी प्रकार शादी न करने का फैसला भी इसलिए लिया ताकि इनके बेजुबानों के प्रति प्रेम से कोई परेशानी पैदा न हो।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 01:43 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 01:58 PM (IST)
जीवदया की अनूठी मिसाल है उदयपुर की डाक्टर माला, बेजुबानों के लिए छोड़ी नौकरी और शादी
फोटो केप्शन: श्वान तथा अन्य जीवों को रेस्क्यू कर बाहर लाती डॉ. माला मट्ठा। जागरण

उदयपुर, सुभाष शर्मा। बेजुबानों की खासियत है कि एक बार वे जिसे अपना मान लें, उसकी वफादारी वे हमेशा करते हैं। चाहे फिर इंसान उनकी तौहीन ही क्यों न करे... किन्तु आपाधापी के इस जमाने में बेजुबानों की परवाह करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। ऐसे उदयपुर की डॉ. माला मट्ठा की बात की जाए तो वह तो जीवदया की अनूठी मिसाल हैं। जो पिछले 12 सालों से जीव-जंतुओं के लिए ही काम कर रही हैं। इसके लिए समय कम पड़ा तो नौकरी छोड़ दी और शादी करने के बारे में सोचती तक नहीं। उनका कहना है कि शादी करने के बाद वह उतना समय नहीं दे पाएंगी, इसलिए इस बारे में विचार ही नहीं लाती।

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उदयपुर की डॉ. माला मट्ठाविभिन्न दुर्घटनाओं व अन्य कारणों में घायल और लोगों द्वारा मारे-पीटे जाने से पीडि़त सैकड़ों गायों, श्वानों एवं अन्य जीव-जंतुओं की जान बचा चुकी हैं। माला मट्ठा खुद एक संस्था से कम नहीं, उनके काम करने के जुनून को देखकर कई युवा उनके साथ जुड़ते चले गए। आज वह और उनकी टीम उदयपुर शहर की सौ किलोमीटर परिधि में सक्रिय हैं। जैसे ही उन्हें किसी भी मासूम जानवर की दुर्घटना या बीमार होने की सूचना मिलती है तो वह तुरंत वहां पहुंचकर उसकी सहायता और उपचार करते हैं।

हाईवे के करीब रहने वाले जानवरों को रेडियम कॉलर पहनाए

डॉ.मट्ठा और उनकी टीम हाईवे पर रह रहे जीवों को सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए रेडियम कॉलर पहनाने की मुहीम चलाए हुए हैं। गर्मी में जीव-जंतुओं के साथ पक्षियों के दाना-पानी की व्यवस्था का भी पूरा ध्यान रखते हैं। इस गर्मी में उनकी टीम दो सौ से अधिक पानी की टंकियां तथा एक हजार से अधिक परिंडे लगा चुके हैं। जिसमें नियमित रूप से साफ पानी भरने का काम डॉ. मट्ठा खुद देखती हैं।

गोरैया के लिए बना रही रंग-बिरंगा आशियाना

इन दिनों क्षेत्र में पक्के मकानों के बनने और मोबाइल रेडियेशन के कारण कम हो रही गोरैया की आबादी को ध्यान में रखते हुए डॉ. मट्ठा ने खुद अपने हाथों से 100 से ज्यादा कृत्रिम घौंसलें तैयार किए हैं। वह उन्हें लोगों को निःशुल्क वितरित कर रही है। इसके लिए वह बाजार से मिट्टी से बने बड़े गुल्लक खरीद कर उसमें चिड़िया के प्रवेश के लिए छेद बनाती हैं। इसके बाद उन पर आकर्षक रंग कर लटकाने के लिए तार आदि लगा कर लोगों को बांट रही है, ताकि हमारे घर-आंगन की शान गोरैया चिड़िया को उसका आशियाना मिले।

छोड़ी नौकरी और न की शादी

डॉ. मट्ठा बताती हैं कि कभी वह एक निजी अस्पताल में नौकरी करती थी, परंतु उस पेशे में रहकर इन बेजुबानों के लिए समय नहीं निकाल पाती थींं। जिसके चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसी प्रकार शादी न करने का फैसला भी महज इसलिए लिया ताकि उनके भावी परिवार को इनके बेजुबानों के प्रति प्रेम से कोई परेशानी पैदा न हो। वह बताती हैं कि इन बेजुबानों के साथ प्यार बांटकर वो अपने पेशे और परिवार से भी ज्यादा संतुष्टि पा रही हैं और अब तो यही उसके जीवन का मकसद भी बन चुका है।

एनिमल वेलफेयर ऑफिसर नियुक्त हुई माला:

डॉ. मट्ठा की जीवों के प्रति की जाने वाली सेवा को देखते हुए एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया से इन्हें उदयपुर के लिए ऑनरेरी एनिमल वेलफेयर ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। जिससे इनके कार्यों को और प्रोत्साहन मिला है। डॉ. माला मिसाल है उन लोगों के लिए जो बेवजह मासूम जानवरों को प्रताडि़त करते हैं या उनकी उपेक्षा करते हैं।

सहकारिता से होता जीवदया का काम

डॉ. मट्ठा बताती है कि जीवदया का काम अकेले के बस की बात नहीं। इसके लिए उनके साथ कई सारे साथी जुड़े हुए हैं। सहकारिता के जरिए वह यह काम कर पाती हैं। एनिमल प्रोटेक्शन सोसायटी के बैनर तले डॉ. मट्ठा के साथ विशाल होलोरिया, मनीष पंचाल, नरेश जणवा, शुभम बड़ाला, गुड्डी पटेल, सीतारामजी के साथ लव शर्मा, कोमल, रवि और दीपांकर सहयोग करते हैं।

माला की मासूम अपील:

डॉ. मट्ठा यह भी बताती हैं कि चिलचिलाती गर्मी में भूख और प्यास के साथ सड़क पर रहने वाले जीवो में सन स्ट्रोक भी होता है, जिससे कई जीव-जंतु मारे जाते हैं। ऐसे में सभी का कर्तव्य है कि अपने आस-पास रहने वाले उन मासूम बेजुबानों की रक्षा के लिए भी कदम उठाएं। जो अपनी पीड़ा हमसे कह नहीं सकते, उनके बारे में जानकारी मिलते ही संबंधित लोगों को बताएं ताकि उनका जीवन बचाया जा सके।


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