Cyber Crime: राजस्थान में आर्थिक व साइबर अपराधों की जांच के लिए दो विशेष इकाइयां गठित
Cyber Crime in Rajasthan. राजस्थान में अपराध व साइबर अपराधों की जांच के लिए दो विशेष इकाइयां गठित की गई हैं।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान में आर्थिक और साइबर अपराध पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। ऐसे में इन अपराधों की जांच के लिए राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) में दो नई अनुसंधान इकाइयां गठित की गई हैं। ये इकाइयां सिर्फ इन अपराधों की जांच करेगी। इन अपराधों की जांच के लिए शेषज्ञता की जरूरत होती है, ऐसे में इन इकाइयों में ऐसे लोगों की सेवाएं भी ली जाएंगी, जो इन क्षेत्रों में काम करते हैं। राजस्थान में आर्थिक व साइबर अपराधों के बड़े मामले सामने आ रहे हैं। इन्हीं को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन यूनिटों का गठन किया है।
आर्थिक अपराधों की बात करें तो पिछले कुछ समय में सहकारी सोसायटियों और चिटफंड जैसी कंपनियों द्वारा लोगों को ठगे जाने के चार बड़े मामले सामने आ चुके हैं। इनमें सबसे बड़ा मामला आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी का है, जिसमें 14 हजार 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी का मामला उजागर हो चुका है। इसके अलावा नवजीवन, संजीवनी सोसायटियों के मामले भी हैं। इन को-ऑपरेटिव सोसायटियों ने निवेश के नाम पर सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी की है। ये मामले राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने ही उजागर किए है।
एसओजी के पास और भी कई तरह के मामले सामने आते हैं, ऐसे में सिर्फ इन मामलों पर ध्यान केंद्रित करना संभव नहीं होता। यही कारण है कि अब नए किस्म के संगठित आर्थिक अपराधों की जांच के लिए एसओजी में ही एक सीरियस फ्रॉड इंवेस्टीगेशन यूनिट (एसएफआईयू) का गठन किया गया है। इस यूनिट में 28 नए पद सृजित किए गए हैं और एक वरिष्ठ अधिकारी को इसकी कमान सौंपी जाएगी। इन दोनों विशेष यूनिटों के संचालन के लिए सरकार हर वर्ष 4.46 करोड़ रुपए खर्च करेगी। पुलिस विभाग का मानना है कि अलग यूनिट गठित होने से जांच सही ढंग और तेजी से हो सकेगी और ऐसे अपराधों के नए-नए तरीकों के बारे में भी लोगों का जागरूक किया जा सकेगा। साइबर अपराध बन गए हैं चुनौती केवल जयपुर में पिछले डेढ़ साल में 40 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी हो चुकी है। हर रोज साइबर ठगी के औसतन दो मामले सामने आते हैं।
जयपुर में इन मामलों की जांच के लिए दो थाने बने हुए हैं। इनमें से एक में पांच लाख रुपये तक की ठगी के मामले दर्ज होते हैं, वहीं दूसरे में पांच लाख से ज्यादा की ठगी के मामले दर्ज होते हैं। जयपुर के अलावा अन्य जगहों पर साइबर ठगी के मामले दर्ज कराने की अलग से कोई व्यवस्था नहीं है। फर्जी ई-मेल, फोन कॉल, फर्जी वेबसाइट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड क्लोनिंग जैसे कई तरीकों से लोगों को ठगा जा रहा है। साइबर थानों से जुड़े पुलिसकर्मी बताते हैं कि बिहार और झारखंड में साइबर ठगों के बड़े सेटअप हैं, जहां युवाओं को पूरी तरह ट्रेनिंग देकर ऐसे कॉल सेंटर्स में बैठाया जाता है और ये हिंदी भाषी दूसरे राज्यों जैसे पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि के लोगों को अपना निशाना बनाते हैं।
नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार दो वर्ष पहले तक जयपुर साइबर अपराधों के मामले में देश में तीसरे स्थान पर था। लोगों में ई-कॉमर्स वेबसाइट से खरीद और मोबाइल एप से भुगतान आदि के बढ़ते चलन के कारण ठगी के ये मामले बढ़ रहे हैं।