Rajasthan: सीएम करते रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बात, रिश्वत लेते रहे अफसर
Rajasthan सीएम अशोक गहलोत भ्रष्टाचार खत्म कर प्रशासन को सक्रिय करते हुए प्रदेश के लोगों को राहत देने को लेकर जिला कलेक्टरों को निर्देश दे रहे थे उसी दौरान दौसा जिले के दो उपखंड अधिकारी पुष्कर मित्तल व पिंकी मीणा को गिरफ्तार किया गया।
जयपुर, जागरण संवाददाता। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और लापरवाह कार्मिकों में सुधार के लिहाज से राजस्थान सरकार नया प्रकोष्ठ बनाएगी। यह प्रकोष्ठ जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह निर्देश उस समय दिए, जब राज्य प्रशासनिक सेवा के दो अधिकारी रिश्वत लेते हुए पकड़े गए। एक तरफ गहलोत भ्रष्टाचार खत्म कर प्रशासन को सक्रिय करते हुए प्रदेश के लोगों को राहत देने को लेकर जिला कलेक्टरों को निर्देश दे रहे थे, उसी दौरान बुधवार को दौसा जिले के दो उपखंड अधिकारी पुष्कर मित्तल व पिंकी मीणा को गिरफ्तार किया गया। दोनों ने क्रमश: पांच और 10 लाख की रकम मांगी थी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दोनों अधिकारियों के साथ ही पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के लिए दलाली करने वाले नीरज मीणा को गिरफ्तार किया।
इस मामले में अग्रवाल की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। अग्रवाल के दो मोबाइल जब्त किए गए हैं, हालांकि फिलहाल उनसे पूछताछ नहीं हुई। जिस समय सीएम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कलेक्टरों के साथ संवाद कर रहे थे, उसी दौरान पिंकी मीणा मोबाइल फोन पर हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी के अधिकारियों से रिश्वत की मांग कर रही थी। पिंकी मीणा ने रिश्वत की डील करने वाले कंपनी के अधिकारी से कहा कि वह अभी मुख्यमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल होने जा रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जैसे ही फ्री होंगी तो रिश्वत के 10 लाख ले लेगी, तब तक यह रकम कंपनी के लाइजन अधिकारी को दे दी जाए। ब्यूरो के अधिकारियों ने पिछले एक माह से उसका मोबाइल सर्विलांस पर ले रखा था तो उनके पास रिकॉर्डिंग आ गई।
पिंकी मीणा के कहे अनुसार, कंपनी का लाइजन अधिकारी रिश्वत की रकम देने पहुंचा तो ब्यूरो के अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके फ्री होने तक ब्यूरो की टीम एक घंटे तक इंतजार करती रही। पिंकी मीणा का पिछले साल ही राज्य प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ था और दौसा जिले के बांदीकुई में उपखंड अधिकारी पद पर उनकी पहली पोस्टिंग थी। वहीं, पुष्कर मित्तल को पांच लाख की रकम लेते हुए गिरफ्तार किया गया । दोनों के दफ्तरों व सरकारी घर से कई दस्तावेज जुटाए गए हैं ।
हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी से मांगी थी रिश्वत
ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि अवर-बांदीकुई-दौसा के बीच हाईवे निर्माण करने वाली कंपनी के मालिक ने ब्यूरो में शिकायत की थी कि भूमि अधिग्रहण करके कंपनी का सुपुर्द करने के बदले दोनों उपखंड अधिकारियों ने रिश्वत मांगी थी । दोनोें ने हाईवे निर्माण में आने वाली अड़चनों को दूर करने का आश्वासन भी कंपनी को दिया था। इसी तरह दलाल मीणा ने पुलिस अधीक्षक के लिए 38 लाख की रिश्वत मांगी थी । कंपनी ने पहले रकम देने से इंकार किया तो पुलिस ने उसके कई वाहनों को जब्त कर लिया था। एक मुकदमा भी बिना किसी कारण के कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज कर लिया गया था।
मीणा का मोबाइल भी ब्यूरो के सर्विलांस पर था, इसलिए उसे भी बातचीत की रिकॉर्डिंग के आधार पर गिरफ्तार किया गया। जिस पुलिस अधीक्षक अग्रवाल के लिए मीणा ने रकम मांगी थी उसका तबादला चार दिन पहले ही जयपुर पुलिस मुख्यालय में हुआ है। ब्यूरो की टीम ने अग्रवाल से उनके दो मोबाइल जब्त किए हैं। फिलहाल, अग्रवाल से पूछताछ नहीं की जा रही है। ब्यूरो के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को तीनों को जयपुर स्थित भ्रष्टाचार निरोधक निवारण अधिनियम कोर्ट-2 के मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता के समक्ष पेश किया। गुप्ता ने दोनों अधिकारियों को 15 दिन के लिए जेल भेज दिया, वहीं दलाल मीणा को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर सौंपा है।