Rajasthan: कोटा में कॉफी विद कलेक्टर' से विद्यार्थियों को किया जा रहा तनाव मुक्त
Coffee With Collector In Kota. आइआइटी जेईई मेडिकल क्लेट सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से स्टूडेंट्स कोटा के कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेते हैं।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। देश में कोचिंग हब के रूप में प्रसिद्ध राजस्थान के कोटा में स्टूडेंट्स को तनाव मुक्त रखने के लिए "कॉफी विद कलेक्टर" नाम से एक अभिनव कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा अन्य अधिकारियों के साथ माह में एक बार कोचिंग स्टूडेंट्स के साथ एंजॉय करते हैं। कलेक्टर स्टूडेंट्स के साथ कॉफी पीते हैं, नाश्ता करते हैं और फिर डीजे की धुन पर डांस करते हैं। कलेक्टर के साथ अन्य अधिकारी कार्यक्रम के जरिए स्टूडेंट्स के साथ मन की बात करते हैं। दो साल में 23 कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या की घटनाओं के बाद कोटा कलेक्टर ने "कॉफी विद कलेक्टर" कार्यक्रम शुरू कर तनाव को कम करने को लेकर पहल की है।
आइआइटी, जेईई, मेडिकल, क्लेट सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से स्टूडेंट्स कोटा के कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार के स्टूडेंट्स की संख्या अधिक है। पढ़ाई के तनाव और इसी के चलते स्टूडेंट्स की बढ़ती आत्महत्याओं को देखते हुए कोचिंग हब कोटा की बदनामी भी होने लगी है। स्टूडेंटृस की बढ़ती आत्महत्याओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,तत्कालीन राज्यपाल कलराज मिश्र और तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चिंता जता चुके हैं। राज्य सरकार ने कोचिंग संस्थानों के संचालकों, अभिभावकों एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों की संयुक्त बैठक करा कर स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का अधिक बोझ डालने के बजाय उनके लिए तैयारी का माहौल बनाने पर जोर दिया है।
नए आइएएस, आइपीएस स्टूडेंट्स को करते हैं मोटिवेट
जिला कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा की पहल पर देश कई कई युवा आइएएस और आइपीएस अधिकारी कोटा आकर स्टूडेंट्स के साथ संवाद कर मोटिवेट करते हैं। ये अधिकारी स्टूडेंट्स को सफलता का मंत्र देते हैं। पिछले एक माह में 11 युवा आइएएस और आइपीएस अधिकारी कोटा पहुंचकर स्टूडेंट्स के साथ संवाद कर चुके हैं। कसेरा का कहना है कि इस कार्यक्रम की शुरुआत इसलिए की, ताकि कोटा में पढ़ने वाले स्टूडेंटृस को अपनापन महसूस कराया जा सके। अधिकारी स्टूडेंट्स को प्ररेणादायक कहानियों के माध्यम से निराश नहीं होने की सीख देते हैं।
कॉफी विद कलेक्टर कार्यक्रम में छात्रों के साथ डांस करते कोटा के कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा।
अभिभावकों का प्रेशर और कोचिंग संस्थान
करीब तीन साल पहले केंद्र सरकार की पहल पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की प्रो. सुजाता श्रीराम की अध्यक्षता में एक टीम बनाई गई थी, इसमें तीन विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। टीम की रिपोर्ट में स्टूडेंट्स की आत्महत्या की दो बड़ी वजह बताई गई थी। इनमें अभिभावकों से स्टूडेंट्स को मिलने वाला इमोशनल दबाव और बेहद दबाव भरी कोचिंग प्रैक्टिस है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि अधिकांश स्टूडेंट्स के अभिभावक उन्हें कोटा भेजते ही भविष्य का डॉक्टर और इंजीनियर समझने लगते हैं। कोचिंग संस्थान टॉपर्स फॉर्मूला पर काम करते हैं, जहां महीने में दो बार टेस्ट होते हैं, अच्छा परफॉर्म करने वालों को आगे बढ़ाया जाता है, जबकि पीछे रहने वाले अक्सर पीछे छूटते जाते हैं। इसी रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कोटा कलेक्टर ओमप्रकाश कसेरा ने कोचिंग संस्थानों के संचालकों एवं अभिभावकों के साथ संवाद का कार्यक्रम भी शुरू किया है।