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Tribute: मदनलाल सैनी पंचतत्व में विलीन Jaipur News

tribute to Madan Lal Saini. राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भाजपा कार्यालय पहुंच कर मदनलाल सैनी को श्रद्धांजलि दी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 25 Jun 2019 01:11 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jun 2019 06:49 PM (IST)
Tribute: मदनलाल सैनी पंचतत्व में विलीन Jaipur News
Tribute: मदनलाल सैनी पंचतत्व में विलीन Jaipur News

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष मदनलाल सैनी मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। सोमवार शाम दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया था। मंगलवार को सीकर में उनके फार्म हाउस पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। एक नेता से ज्यादा कार्यकर्ता की पहचान रखने वाले मदनलाल सैनी के अंतिम संस्कार में भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के सभी छोटे बडे नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। अंतिम संस्कार से पहले जयपुर मे पार्टी मुख्यालय में सुबह उनकी पार्थिव देह अंतिम दर्शनों के लिए रखी गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भाजपा मुख्यालय पहुंच कर सैनी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

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फेफडों में संक्रमण के कारण मदनलाल सैनी को तीन चार दिन पहले जयपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां से रविवार को उन्हें एम्स दिल्ली में रेफर कर दिया गया था। सोमवार शाम अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। रात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और भाजपा के अन्य केंद्रीय नेताओं ने दिल्ली में ही उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। रात में ही उनका पार्थिव शरीर जयपुर लाया गया और यहां सुबह पार्टी मुख्यालय पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, चिकित्सा मंत्री रधु शर्मा, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भाजपा मुख्यालय आ कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

गहलोत ने कहा कि सैनी एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। उन्होने दो दिन पहले ही सैनी से बात की थी और उनके स्वास्थ्य का हाल का जाना था, लेकिन उनकी बातों से लग नहीं रहा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर, नेता प्रतिपक्ष गुला चंद कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठोड, संगठन मंहामंत्री चंद्रशेखर सहित पार्टी के हर छोटे बड़े नेता और कार्यकर्ता ने भी सैनी को श्रद्धासुमन अर्पित किए। यहां से सड़क मार्ग द्वार उनकी पाथिव देह सीकर रवाना की गई। रास्ते में करीब 12 स्थानों पर आमलागों और कार्यकर्ताओं ने सैनी को श्रद्धांजलि दी। दोपहर बाद सीकर से कुछ दूरी पर स्थित उनके फार्म हाउस के पास मोक्षधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

नेता से ज्यादा कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे
मदनलाल सैनी राजस्थान भाजपा के उन नेताओं में गिने जाते थे, जिन्हें हर कार्यकर्ता अपना मानता था, क्योंकि वो हर कार्यकर्ता के लिए सहजता से उपलब्ध थे। अध्यक्ष बनने से पहले वो पार्टी की अनुशासन समिति के अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, विधायक सहित कई पदों पर रहे, लेकिन उनकी पहचान यही थी कि कोई भी कार्यकर्ता उनसे कभी भी मिल सकता था और यह सिलसिला अध्यक्ष बनने के बाद भी जारी रहा। वे किसी भी कार्यकर्ता को काम के लिए मना नहीं करते थे। अक्सर सीकर से बस के जरिए जयपुर आते थे और किसी से लिफ्ट लेकर पार्टी मुख्यालय पहुंचते थे। पार्टी मे विभिन्न पदों पर काम करने से पहले वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे और भारतीय मजदूर संघ तथा किसान संघ से जुड़े हुए थे और इन संगठनों के लिए उन्होंने बहुत गंभीरता से काम किया था।

एक विकल्प केतौर पर बने अध्यक्ष
सैनी ने जिस समर्पण भाव से पार्टी के लिए काम किया, उसका प्रतिफल उन्हें अपने जीवन के अंतिम समय में ही मिला। पिछले वर्ष उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर नियुक्ति हुई। राज्यसभा सदस्य बनने के बाद खुद सैनी ने कहा था कि जब फोन आया तो उन्हें भरोसा नहीं हुआ था, क्योंकि इस तरह के फोन पहले भी आते रहे है। अध्यक्ष पद पर भी उनकी नियुक्ति एक एडजसटमेंट के तौर पर हुई थी, क्योंकि आलाकमान गजेन्द्र सिंह शेखावत को अध्यक्ष बनाना चाहता था और वसुंधरा राजे इसके लिए राजी नहीं थी, बाद में मदनलाल सैनी के नाम पर सहमति बनी और वो अध्यक्ष बनाए गए। उन्हें मिली नियुक्तियों के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं को यह कहते सुना गया था कि पार्टी ने एक कार्यकर्ता को जो सम्मान दिया है, उससे सामान्य कार्यकर्ता भी काफी उत्साहित हुआ है।

सैनी का जन्म 13 जुलाई, 1943 को हुआ था। मूलतः सीकर जिले की मालियों की ढाणी के रहने वाले करीब 76 वर्षीय सैनी राजनीति में आने से पहले भारतीय मजूदर संघ (भामस) से लंबे समय तक जुड़े रहे थे। सैनी ने राजनीति के लिए सीकर मुख्यालय से सटे माली बहुल झुंझुनूं के उदयपुवाटी विधानसभा (पूर्व में गुढ़ा) को चुना था। सैनी 1990 में उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे।

राजस्थान में अब समय से पहले बनाना होगा अध्यक्ष, राज्यसभा सीट भी हुई खाली
राजस्थान में लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही नए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की चर्चा चल रही थी, हालांकि बाद में यह साफ कर दिया गया था कि दिसंबर में संगठन चुनाव तक मदनलाल सैनी ही अध्यक्ष रहेंगे। अब उनके निधन से पार्टी को समय से पहले नए अध्यक्ष की नियुक्ति करनी होगी। इसके साथ राजस्थान से राज्यसभा की एक सीट भी खाली हो गई है। सैनी पिछले वर्ष ही राज्य सभा के लिए चुने गए थे। 

लोकसभा चुनाव मे मिली एकतरफा जीत के बावजूद रजस्थान में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर अटकलें जोरों पर थी। माना जा रहा था कि सैनी को पार्टी ने सिर्फ कुछ समय के लिए अध्यक्ष बनाया था, और अब चूंकि चुनाव खत्म हो गए है, इसलिए संगठन में नए सिरे से सब कुछ तय किया जाएगा, हालांकि इन अटकलों पर खुद सैनी ने ही विराम लगा दिया था। कुछ समय पहले मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो रही है और दिसम्बर में संगठन चुनाव के बाद ही अध्यक्ष पद पर फैसला होगा। लेकिन अब उनके निधन के बाद पार्टी को समय से पहले अध्यक्ष की नियुक्ति करनी होगी।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि सामान्य स्थिति में शायद पार्टी संगठन चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक इंतजार कर लेती, लेकिन जल्द ही दो सीटों के लिए विधानसभा उपचुनाव और नवम्बर में नगरीय निकाय चुनाव होने है। ऐसे में अध्यक्ष की नियुक्ति करना पार्टी की मजबूरी है। यह हो सकता है कि अभी किसी को कार्यवाहक अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी जाए और दिसम्बर में ही नया अध्यक्ष आए, लेकिन पार्टी को किसी नेता को यह जिम्मेदारी तो देनी पडेगी। इस पद के लिए विधायक सतीश पूनिया, सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सांसद सीपी जोशी के नाम प्रमुख तौर पर चल रहे हैं।

अध्यक्ष पद के साथ ही राज्यसभा की सीट भी खली हो गई है। वैसे तो राजस्थान मे इस वर्ष राज्यसभा की कोई सीट खाली नहीं हो रही थी और अगले वर्ष चुनाव होना था, लेकिन अब सैनी के निधन से इसी वर्ष इस खाली सीट के लिए चुनाव होगा। सैनी पिछले वर्ष ही राज्यसभा भेजे गए थे। अब उनकी खाली सीट के लिए होने वाला चुनाव काफी रोचक होने की संभावना है, क्योंकि इस बार राजस्थ्ज्ञान में कांगे्रस की सरकार है, हालांकि दोनों दलों के बीच सीटों का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है, इसलिए सर्वसम्मति से नाम तय होने के बजाए चुनाव होने की पूरी संभावना बताई जा रही है।

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