बढ़ाई छात्रावास फीस के विरोध में जनजाति छात्र एकजुट आंदोलन की रूपरेखा तैयार की
छात्रावासों की बढ़ाई हुई फीस सहित विभिन्न मांगों को लेकर जनजाति छात्र आंदोलन शुरू कर सकते हैं।
उदयपुर, जेएनएन। छात्रावासों की बढ़ाई हुई फीस सहित विभिन्न मांगों को लेकर जनजाति छात्र आंदोलन शुरू कर सकते हैं। आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए वह गुरुवार को उदयपुर में एकत्रित हुए और जनजाति आयुक्त से भी मुलाकात की।
जनजाति के छात्र नेता अरविन्द कोटेड़ ने बताया कि उदयपुर संभाग के जनजाति छात्रों के छात्रावास एवं छात्रवृत्ति में आ रही परेशानियों, पुलिस विभाग की भर्ती में जनजाति छात्रों की अनदेखी, विभिन्न विभागों में प्राइवेट एजेन्सी के जरिए गैर आदिवासी कार्मिकों की भर्ती जैसे मुद्दों को लेकर ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन की बैठक उदयपुर में आयोजित की गई थी।
इसके अलावा यूनियन के प्रतिनिधि मण्डल ने जनजाति आयुक्त से भी मुलाकात भी की। जिसमें उन्होंने जनजाति छात्रावासों की बढ़ाई हुई फीस वापस लेने, छात्रावासों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, छात्रवृत्ति का नियमित समय पर भुगतान कराने, जनजाति क्षेत्र में पीसा कानून लागू करने, गृह किराया 5 हजार रुपये से बढ़ाकार 25 हजार रुपये करने के साथ स्थानीय भर्तियों में जनजाति क्षेत्र के लोगों को प्राथमिकता दिए जाने की मांग रखी।
जानकारी हो कि छात्रावासों की बढ़ाई हुई फीस सहित विभिन्न मांगों को लेकर जनजाति छात्र आंदोलन शुरू कर सकते हैं। आंदोलन की रूपरेखा तय करने के लिए वह गुरुवार को उदयपुर में एकत्रित हुए और जनजाति आयुक्त से भी मुलाकात की।
कोटेड का कहना था कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में जनजाति छात्रों में भारी आक्रोश है। उन्हें समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिलती, कई जनजाति छात्रावासों की हालत ऐसी है कि जहां मवेशी भी नहीं रहना चाहते। पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है।
मीरा कन्या महाविद्यालय की छात्रा नेता मीना डामोर ने कहा कि छात्रावासों की फीस प्रतिवर्ष बढ़ाई जा रही है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। दूसरी ओर, जनजाति क्षेत्र के छात्रों को गृह किराया पिछले 10 वर्षों से 5 हजार रुपये वार्षिक दिया जा रहा है जिसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये सालाना किया जाना चाहिए। छात्रनेताओं के साथ भील प्रदेश मोर्चा के प्रदेश सचिव बीएल. छानवाल ने पुलिस विभाग में कांस्टेबल भर्ती में हो रही त्रुटियों में सुधार करने की जरूरत जताई।
उन्होंने आंदोलनकर्ताओं का समर्थन करते हुए उनकी मांग को वाजिब बताया एवं मांगें नहीं माने जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।