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राजस्थान में दबंगों से परेशान परिवार इच्छामृत्यु की अनुमति मांगने पहुंचा सचिवालय

Euthanasia.राजस्थान में दबंगों से परेशान एक परिवार इच्छामृत्यु की अनुमति मांगने सचिवालय पहुंच गया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 06:48 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:48 PM (IST)
राजस्थान में दबंगों से परेशान परिवार इच्छामृत्यु की अनुमति मांगने पहुंचा सचिवालय
राजस्थान में दबंगों से परेशान परिवार इच्छामृत्यु की अनुमति मांगने पहुंचा सचिवालय

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में भरतपुर जिले के एक गांव में दलित परिवार की लड़की से छेड़छाड़ का विरोध करने पर दबंगों ने उसके पिता के साथ बुरी तरह से मारपीट की। दबंगों के भय से यह परिवार काफी समय से इधर-उधर भटक रहा है, लेकिन अपने घर में नहीं रह पा रहा है। दबंगों ने इस परिवार को गांव से से बाहर निकाल दिया। दबंगों से परेशान यह परिवार सोमवार को जयपुर स्थित शासन सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ गया। परिवार के छह सदस्यों ने सरकार से इच्छामृत्यु की मांग की और हाथों में तख्तियां लेकर पुलिस और प्रशासन के प्रति विरोध जताया।

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भरतपुर निवासी एक व्यक्ति अपने दो बेटों, एक बेटी और पत्नी के साथ सचिवालय पहुंचा। यहां प्रवेश पत्र बनने में देरी होने पर यह परिवार स्वागत कक्ष पर ही इच्छामृत्यु की मांग करते हुए धरने पर बैठ गया। हालांकि सूचना पर तत्काल हरकत में आए अधिकारी मौके पर पहुंचे और परिवार को दबंगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन देकर धरने से उठाया। उसने बताया कि पिछले साल 21 जून को उसकी बेटी स्कूल जा रही थी। इसी दौरान गांव के दबंग परिवार के आधा दर्जन युवकों ने बेटी से छेड़छाड़ की। बेटी ने घर आकर पिता को छेड़छाड़ की घटना के बारे में बताया तो उसने युवकों के घर जाकर शिकायत की। अगले दिन दबंगों ने उसे अकेला जाते देख रास्ते में रोका और मारपीट की। उससे इस कदर मारपीट की गई कि उसके हाथ और पैर में फ्रेक्चर हो गए। उसने पुलिस थाने जाकर आरोपितों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया, लेकिन आज तक उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

उसने बताया कि पुलिस में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद दबंगों ने उसे परिवार सहित घर से बाहर निकाल दिया। इस कारण वह आसपास के गांवों में कभी खुले में तो कभी तंबू में रहकर अपने परिवार को पाल रहा है। रिश्तेदारों के यहां एक-दो बार शरण ली तो दबंगों ने उन्हे भी धमकाया। डेढ़ साल में वह स्थानीय पुलिस थाने से लेकर जिला पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर, मानवाधिकार आयोग और जनप्रतिनिधियों तक को अपनी पीड़ा बता चुका है, लेकिन कहीं से राहत नहीं मिली। अब वह सरकार से इच्छामृत्यु की इजाजत लेने शासन सचिवालय पहुंचा।

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