आदिवासियों के लिए इन दिनों वरदान हैं पलाश के फूल
इन दिनों आदिवासी जंगल में लगे पलाश के पेड़ों के फूल चुनने में जुटे हैं जिनसे हर्बल गुलाल बनाई जाएगी।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। पलाश यानी जंगल की आग, जिसे उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र में खाखरा कहा जाता है। दोना-पत्तल का प्रचलन कम होने के बाद आदिवासी एक दशक तक परेशान रहे लेकिन अब हर्बल गुलाल की बढ़ती मांग उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं। इन दिनों आदिवासी जंगल में लगे पलाश के पेड़ों के फूल चुनने में जुटे हैं जिनसे हर्बल गुलाल बनाई जाएगी।
उदयपुर संभाग की अरावली पर्वतमाला के बीच पलाश इन दिनों पूरी रंगत में है। पहले पलाश के फूल जो बेकार हो जाते थे, अब वही सूखे हुए फूल गुलाल बनाने के काम में आ रहे हैं। पिछले एक-दो साल से हर्बल गुलाल की मांग बढ़ी है। दूसरी ओर राजस्थान में वन विभाग ने हर्बल गुलाल के उपयोग के लिए काम शुरू किया है जिसमें वह आदिवासी क्षेत्र के लोगों को पलाश के फूल एकत्रित कर आय बढ़ाने में जुटा है।
इधर, हर्बल गुलाल बनाने वाली संस्थाओं एवं प्रतिष्ठानों में भी पलाश के फूल की मांग बढ़ गई है। जहां क्वालिटी के हिसाब से पलाश के फूल का भाव ढाई सौ रुपए से लेकर साढ़े तीन सौ रुपए तक बिक रहा है। इधर, हर्बल गुलाल के व्यापारी बताते है कि पलाश के सूखे फूलों को मशीन में मिक्स किया जाता है और उसके बाद गुलाल तैयार की जाती है। पलाश के फूलों से दूसरी हर्बल गुलाल बनाने के लिए उनमें सब्जियों और पेड़ों की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है।
दक्षिणी राजस्थान में तैयार हर्बल गुलाल की मांग राजस्थान ही नहीं, बल्कि आसपास के राज्यों में बनी हुई है।आदिवासी महिलाओं के रोजगार का बड़ा जरिया पलाश के पेड़ आदिवासी महिलाओं के लिए रोजगार का सबसे बड़ा जरिया बन गया है। जहां इनके पत्ते दोना-पत्तल बनाने में काम आते हैं, वहीं फूल से गुलाल तैयार की जाती है। अब तो आदिवासी महिलाएं खुद ही गुलाल तैयार कर लेती हैं। उनका कहना है कि पूर्व में जहां दोना-पत्तल का व्यापार कम पड़ गया था लेकिन अब फिर से लोगों ने पलाश के दोना-पत्तल का उपयोग लेना शुरू किया है। पहले की तरह तो नहीं, लेकिन इसकी मांग धीरे-धीरे बनने लगी है।
इधर, पलाश के औषधीय उपयोग को लेकर भी इस पेड़ की महत्ता बढ़ी है। राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. मुरली गोविन्द आचार्य का कहना है कि पलाश के पत्तों एवं जड़ को चिकित्सा क्षेत्र में सोने से भी कीमती माना जाता है। पलाश के पेड़ से निकलने वाला गौंद हड्डियों को मजबूत करता है। इसके फूलों से त्वचा संबंधी रोगों का उपचार किया जाता है। पलाश के पत्ती, फूल, तना से लेकर जड़ सभी औषधीय गुणों से भरी हैं।
इनका कहना है
उदयपुर उत्तर मंडल उप वन संरक्षक, ओपी शर्मा ने कहा कि पलाश के फूल से विभाग हर्बल गुलाल तैयार करा रहा है। इससे आदिवासी क्षेत्र की महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है, वहीं विभाग की तैयार गुलाल की मांग गुजरात एवं अन्य राज्यों में बनी हुई है।