राजस्थान के सवाईमाधोपुर स्थित रणथंभौर अभयारण्य में बाघिन-107 ने दो शावकों को जन्म दिया
रणथंभौर अभयारण्य में कुल बाघों की संख्या 69 हो गई है। राजस्थान के सवाईमाधोपुर स्थित रणथंभौर अभयारण्य में बाघिन-107 ने दो शावकों को जन्म दिया है। अभयारण्य में अमरेश्वर वन खेत्र में बाघिन ने इन शावकों को जन्म दिया है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के सवाईमाधोपुर स्थित रणथंभौर अभयारण्य में बाघिन-107 ने दो शावकों को जन्म दिया है। अभयारण्य में अमरेश्वर वन खेत्र में बाघिन ने इन शावकों को जन्म दिया है। ये चार से पांच माह के हैं। वन विभाग की और से लगाए गए कैमरों में कैद हुई फोटो के आधार पर दो शावकों की पुष्ट हुई है।
जानकारी के अनुसार यह बाघिन काफी समय से सही तरह से दिखाई नहीं दे रही थी, अगर नजर भी आ रही थी तो बहुत कम। ऐसे में माना जा रहा है कि यह दोनों शावकों को जन्म देने के बाद उन्हे संभालने में जुटी थी। अब जब शावक चार से पांच माह के हो गए तो बाघिन बाहर निकली है। कुद समय पहले बाघिन-102 ने चार शावकों को जन्म दिया था। रणथंभौर अभयारण्य में कुल बाघों की संख्या 69 हो गई है।
लॉकडाउन के समय सरिस्का से भी आयी थी अच्छी खबर
लॉकडाउन के समय राजस्थान के अलवर जिले में स्थित सरिस्का अभयारण्य (टाइगर रिजर्व) से भी ऐसी अच्छी खबर आई थी । राजस्थान के सरिस्का अभयारण्य में एक बाघिन एसटी-12 ने एक साथ तीन शावकों को जन्म दिया था । बाघिन एसटी-12 के तीनों शावकों की फोटो कैमरा ट्रैप से मिली थी। इस खबर पर अशोक गहलोत ने ट्वीट कर ख़ुशी जाहिर की थी । जानकारी जो कि सरिस्का में टाइगरों की संख्या 20 हो गया है।
सरिस्का कि खास बातें
जानकारी हो कि डेढ़ दशक पूर्व बाघ विहीन हो गया था सरिस्का अभयारण्य। राजस्थान सरकार ने पहला बाघ 2008 को रणथंभौर के जंगल से हेलीकॉप्टर द्वारा मंगवाया। रणथंभौर से बाद में तीन बाघ और पांच बाघिन मिली थी।
जानकारी के अनुसार सरिस्का में एक और अन्य बाघिन ने भी इस साल एक शावक को जन्म दिया था। वरिष्ठ जानकार बताते है कि जंगल के निकट से हाईवे का होना, कई मंदिर होना वन्यजीवों के लिए खतरा बताया जाता है।