Rajasthan : पैडल-टू-जंगल में उदयपुर के तीन दिवसीय साईकिल यात्रा का रोमांच शुरू
पैडल-टू-जंगल साईकिल यात्रा महान योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़े स्थलों से होकर निकलेगी। तीन दिवसीय जंगल सफारी साईकिल यात्रा शुक्रवार को उदयपुर से शुरू हुई।
उदयपुर, जेएनएन। "पैडल-टू-जंगल" साईकिल यात्रा महान योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़े स्थलों से होकर निकलेगी। तीन दिवसीय जंगल सफारी साईकिल यात्रा शुक्रवार को उदयपुर से शुरू हुई, जिसे पुलिस महानिरीक्षक बिनिता ठाकुर ने हरी झंडी दिखाई। इस यात्रा में सेना के मेजर, आईआरएस अधिकारी, डॉक्टर, उद्योगपति, सेवानिवृत्त अधिकारी, विद्यार्थी और अन्य ओहदों से जुड़े लोग सम्मलित हुए।
यात्रा वन विभाग, ली टूर डी इंडिया तथा बेला बसेरा रिसोर्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।उदयपुर में तीसरी बार आयोजित इस साईकिल यात्रा में प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा तथा महाराष्ट्र से नागपुर व मुम्बई, चेन्नई, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा सहित देश के विभिन्न हिस्सों से पंजीकृत प्रकृति प्रेमी भाग ले रहे हैं। तीन दिन में वह 150 किलोमीटर प्रकृति पथ की यात्रा करेंगे। इस साईकिल सफारी में यात्री महाराणा प्रताप से जुड़े स्थलों की सैर करेंगे। शुक्रवार को साईकिल यात्री फहतसागर पाल से रवाना होकर रानी रोड, बड़ी, छोटा मदार, गोडान कला, धार, उबेश्वरजी, भाटा गांव होते हुए श्रीराम गांव स्थित केम्प साइट की ओर रवाना हो गए।
"पैडल-टू-जंगल" साईकिल यात्रा महान योद्धा महाराणा प्रताप से जुड़े स्थलों से होकर निकलेगी। तीन दिवसीय जंगल सफारी साईकिल यात्रा शुक्रवार को उदयपुर से शुरू हुई, जिसे पुलिस महानिरीक्षक बिनिता ठाकुर ने हरी झंडी दिखाई। इस यात्रा में सेना के मेजर, आईआरएस अधिकारी, डॉक्टर, उद्योगपति, सेवानिवृत्त अधिकारी, विद्यार्थी और अन्य ओहदों से जुड़े लोग सम्मलित हुए। रात्रि विश्राम करने के बाद दूसरे दिन शनिवार का सफर शुरू । श्रीराम गांव से शुरू यह सफर महाराणा प्रताप की कर्मस्थली गोगुन्दा, रावलिया कला, पानेर, बरवाड़ा, ओड़ा, केलवाड़ा, गवार होकर बेला बसेरा रिसोर्ट पर थमेगा। शनिवार रात बेला बसेरा रिसोर्ट में विश्राम के बाद रविवार सुबह गवार, केलवाड़ा, बीड की भागल, कुंभलगढ़ सेंचुरी गेट, दाना बट्टा, ठण्डी बेरी होते हुए मुछाला महावीर तक पहुंचेंगे। आयोजक सेवानिवृत्त मुख्य वन संरक्षक राहुल भटनागर ने बताया कि इस साईकिल सफारी का मुख्य उद्देश्य ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने व प्रकृति संरक्षण, आजीविका एवं आत्मनिर्भरता के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करना आदि है।
राजस्थान की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
राजस्थान में जिला कलक्टर देखेंगे बुर्जुगों की सेवा हो रही है या नहीं