राजस्थान में तीसरी ताकत का विकल्प लगभग समाप्त !
राजस्थान में तीसरी राजनीतिक ताकत का विकल्प लगभग समाप्त होता नजर आ रहा है ।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में तीसरी राजनीतिक ताकत का विकल्प लगभग समाप्त होता नजर आ रहा है । राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी (राजपा ) के भाजपा में विलय और दो निर्दलिय विधायकों के भी भाजपा में शामिल होने की बात साफ होने के बाद प्रदेश में तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयासों को झटका लगा है।
अब तक राजपा के प्रदेश अध्यक्ष किरोड़ी लाल मीणा ,भाजपा के असंतुष्ट विधायक घनश्याम तिवाड़ी,निर्दलिय विधायक हनुमान बेनीवाल,रणधीर सिंह भींडर और मानिक चंद सुराणा मिलकर आगामी विधानसभा चुनाव में तीसरी राजनीतिक शक्ति खड़ी करने के प्रयासों में जुटे थे । किरोड़ी लाल मीणा ने निर्दलिय हनुमान बेनीवाल के साथ मिलकर प्रदेश में पांच बड़ी रैलियां कर तीसरा मोर्चा बनाने की बात सार्वजनिक रूप से कही थी। वहीं निर्दलिय विधायक रणधीर सिंह भींड़र ने उदयपुर संभाग में पिछले एक साल में कई बड़ी सभाएं कर भाजपा और कांग्रेस का विकल्प तैयार करने की घोषणा की थी ।
इसी तरह एक अन्य निर्दलिय विधायक मानिक चंद सुराणा भी अब तक दोनों ही बड़े दलों से दूर रहने की बात कह रहे थे । लेकिन रविवार को अचानक बदले घटनाक्रम के तहत किरोड़ी लाल मीणा ने राजपा का भाजपा में विलय कर दिया । मीणा और उनकी विधायक पत्नी गोलमा देवी एवं एक अन्य विधायक गीता वर्मा भाजपा में शामिल हो गए ।इसी तरह भींडर और सुराणा ने भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में आस्था जताते हुए कहा कि राज्यसभा चुनाव में वे भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करेंगे ।
सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे ने भींडर को आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट देने का आश्वासन दिया है । वहीं सुराणा को भी टिकट देने पर विचार करने की बात कही गई है। सुराणा और भींडर आगामी कुछ दिनों में भाजपा में शामिल होने की औपचारिक घोषणा करेंगे ।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ सार्वजनिक रूप से मोर्चा खोलने वाले भाजपा के असंतुष्ट विधायक घनश्याम तिवाड़ी को भी आरएसएस और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की ओर से संतुष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है । यही कारण है कि जनवरी में नई राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा करने वाले तिवाड़ी ने अब चुप्पी साध ली है । वर्तमान हालात मे अबं निर्दलिय विधायक हनुमान बेनीवाल एकमात्र ऐसे नेता बचे हैं जो तीसरी ताकत बनाने की अपनी घोषणा पर अड़े हुए हैं ।
लेकिन राजस्थान के पुराने राजनीतिज्ञों का मानना है कि बेनीवाल का प्रभाव नागौर जिले के दो से तीन विधानसभा क्षेत्रों तक ही सीमित होने के कारण आगामी कुछ दिनों में वे भी किसी ना किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने का प्रयास करेंगे ।