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मुफ्त में खरबूजा खाना है तो आना होगा लक्ष्मीपुरा, जानिए- इसकी वजह

खरबूजे के बीज को मेवे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। खासतौर से मिठाइयों में इसका प्रयोग बहुत किया जाता है। इससे मिठाई का टेस्ट बढ़ जाता है। यह सेहत से भी भरपूर है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 03:28 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 05:21 PM (IST)
मुफ्त में खरबूजा खाना है तो आना होगा लक्ष्मीपुरा, जानिए- इसकी वजह
मुफ्त में खरबूजा खाना है तो आना होगा लक्ष्मीपुरा, जानिए- इसकी वजह

उदयपुर, सुभाष शर्मा। गर्मी में सेहत बनाए रखनी है तो खरबूजा खाइये और मुफ्त में खरबूजा खाना है तो लक्ष्मीपुरा आईये। जी हॉं, उदयपुर संभाग में बांसवाड़ा जिले के लक्ष्मीपुरा गांव के किसान इन दिनों (गर्मियों में) यही दोहराते हैं। वे कहते हैं खरबूजे खाने हैं तो लक्ष्मीपुरा आओ, मीठे खरबूजे खिलाएंगे और एक भी रुपया नहीं लेंगे। जो खरबूजा मीठा निकले उसे ही खाएं, बाकी उनके पशु खा लेंगे।

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बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर छींच पंचायत का गांव लक्ष्मीपुरा, जहां दूर-दूर तक खरबूजों की बेलें ही नजर आती है। रास्ते से आते-जाते मुसाफिर यहां मुफ्त में ही मीठे और ताजे खरबूजे का लुत्फ उठाते नजर आते हैं। छींच-बड़ोदिया मार्ग के बीच लक्ष्मीपुरा गांव में इन दिनों ज्यादातर किसान खरबूजे की ही खेती करते हैं। ये किसान खरबूजा बाजार में नहीं बेचते, बल्कि इन खरबूजों को आसपास के लोगों को खिलाकर उनके बीज ही एकत्र करते हैं। अगर खरबूजे की पैदावार ठीक-ठाक हई तो एक बीघा भूमि से वह पच्चीस हजार रुपए से अधिक की कमाई कर लेते हैं।

लक्ष्मीपुरा के खरबूजा उत्पादक किसान कांतिभाई पटेल बताते हैं कि यहां के किसान पिछले 5 साल से खरबूजे की खेती करते आ रहे हैं। लेकिन उनके गांव का खरबूजा कभी मंडी नहीं गया। हम सिर्फ बीज का उत्पादन ही करते हैं। किसान भीखाभाई बताते हैं कि फरवरी-मार्च में खरबूजे की बुवाई की जाती है। एक बीघा भूमि में खरबूजे की बेल बोने में मुश्किल से दो हजार रुपए की लागत आती है। जबकि आमतौर पर हर किसान को बीस से तीस हजार रुपए प्रति बीघा की कमाई हो जाती है। इस फसल में मेहनत कम और मुनाफा अधिक है।

इसी गांव के बंशीलाल का कहना है कि प्रति बीघा पांच रुपए के बीज बोये जाते हैं। एक बार ही पानी देना होता है और पूरे जून महीने खरबूजों की बेहद पैदावार होती है। इस फसल में ना तो किसी दवा की जरूरत और ना ही खाद की। इंदौर से होता है खरबूजे की बीजों का निर्यात खरबूजों के सूखे बीजों की इंदौर मंडी में बेहद मांग है। बांसवाड़ा से हर दिन लगभग दस क्विंटल खरबूजा बीज इंदौर मंडी भेजा जा रहा है। इंदौर में इनकी सफाई होती है और वहां से साफ और छिले बीज का निर्यात होता है। खरबूजा का छिला हुआ बीज बारह सौ से अठारह सौ रुपए प्रति किलोग्राम की रेट से बिकता है।

खरबूजा का बीज है बेहद लाभदायक
खरबूजा का बीज स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। खरबूजे के बीच उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। साथ ही इसमें पाए जाने वाला विटामिन ए और विटामिन सी आंखों के लिए बेहद लाभदायक रहता है। अगर किसी को दिल की बीमारी है तो उसमें खरबूजा और उससे ज्यादा फायदेमंद इसका बीज रहता है। फलों में सबसे कम फैट होने के चलते इससे वजन में भी कमी आती है। दिल की बीमारी में भी खरबूजा बेहद फायदेमंद साबित होता है।

इनका कहना है

खरबूजों का बीज अच्छे दाम देता है। इसलिए खरबूजे को काटकर हाथों हाथ बीज निकालकर सूखा देते हैं और कटे खरबूजे को भी बेच देते हैं। यह बीज डेढ़ सौ से दो सौ रुपए किलो के भाव में आसानी से बिकता है। खरबूजे के बीज की इंदौर में बेहद मांग है। जहां से यह कई देशों में निर्यात होता है। हम किसानों से सीधे बीज खरीदकर उन्हें इंदौर भेजते हैं।

चंद्रभान जैन, व्यापारी, बांसवाड़ा 

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