11 देशों के 40 शहरों में हजारों-लाखों बच्चों की जिंदगी संवार रहे ये रॉबिनहुड आर्मी
गरीब बच्चों को दे रहे शिक्षा की रोशनी, रॉबिनहुड आर्मी बनी बेसहारा-गरीब बच्चों का सहारा, दो साल से चल रहा वंचित बच्चों के जीवन में रोशनी भरने का काम।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। राजस्थान की पर्यटननगरी उदयपुर युवाओं के अपने-अपने सपने हैं। अपने सपनों को हकीकत में बदलने को लेकर युवाओं की जिंदगी किसी भागमभाग से कम नहीं है। बावजूद इसके यहां ऐसे भी कई लोग हैं, जो वंचितों का सपना सच करने, और उनका जीवन संवारने के लिए बहुत कुछ करते हैं। यह लोग नि:स्वार्थ भाव से किसी की पढ़ाई में मदद करते हैं, तो किसी के पेट की भूख मिटाते हैं। उदयपुर में दो सौ लोगों का ऐसा ही एक समूह है जो व्यस्तता के बावजूद समय निकालकर सडक़ों पर पलने वाले सैकड़ों बच्चों के जीवन को रोशन करने में जुटे हैं।
हम बात कर रहे हैं रॉबिनहुड आर्मी की, जिसके साथ अलग-अलग इलाकों में रहने वाले कई युवक-युवतियां जुड़े हैं। समूह में शामिल लोगों में कोई शिक्षाविद् है तो कोई इंजीनियर, कोई डॉक्टर है तो कोई शोधार्थी, ज्यादातर कॉलेज के स्टूडेंट्स हैं। ये लोग जब गरीब बच्चों को पढ़ाने निकलते हैं, तो इनकी न कोई जाति होती है और न कोई धर्म। मन में होता है वंचित-बेसहारा बच्चों का जीवन संवारने का सपना, जिसे पूरा करने के लिए वे हरसंभव कोशिश में जुटे हैं।
यूं तो इस संस्था की नींव दिल्ली में रहने वाले नील घोष और आनंद सिन्हा ने रखी थी। आज इस संस्था का दायरा 11 देशों के 40 शहरों में फैला है। हजारों-लाखों बच्चों को रॉबिनहुड आर्मी न सिर्फ साक्षर बना रही है बल्कि उनके खाने-पीने का इंतजाम भी कर रही है। उदयपुर में रॉबिनहुड आर्मी के सदस्य चाहत अरोड़ा, राहुल बड़ाला और अक्षिता बोरदिया ऐसे बच्चों का भविष्य संवारने के लिए कर रहे हैं, जो वंचित तबके से हैं। दो साल पहले उदयपुर में इस ग्रुप ने काम शुरू किया। जीरो फंडिंग वाले इस ग्रुप में हर कोई वालंटियर है। हर रविवार 11 बजे वालंटियर जमा होते हैं और उदयपुर के चिन्हित स्थान ठोकर चौराहा, बंजारा बस्ती और संजीवनी अनाथालय में दो से तीन घंटे तक बच्चों को पढ़ाते हैं, उसके बाद उन्हें भोजन कराते हैं। उनके स्वास्थ्य एवं सफाई को लेकर ध्यान रखते हैं।
...ताकि समाज की मुख्यधारा में शामिल हों
रॉबिनहुड आर्मी की वालंटियर आस्था शर्मा का कहना है कि हम वंचित बच्चों को स्वच्छता के बारे में भी जागरुक कर रहे हैं। हमारा मकसद सडक़ों पर पलने वाले इन बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाना है। हमारे हर इलाके में फूड डोनर हैं, जो बच्चों के लिए भोजन भेजते हैं। बच्चों को जब स्टेशनरी की जरूरत होती है, तब वालंटियर ही वह जरूरत पूरी करते हैं। हमारे वालंटियर शादी या अन्य फंक्शन जैसे कार्यक्रमों में भी जाते हैं, जहां बच गए भोजन को जरूरतमंदों के बीच बांटते हैं। आस्था बताती है कि मासूम बच्चों के बीच समय गुजारना एक सुखद अनुभव है। हमारा प्रयास है कि वे भी शिक्षित हों, उनके भी जीवन में रोशनी हो और बड़े होकर वे भी जमाने के साथ कदमताल कर सकें।