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Rajasthan: उपर के जबड़े का एक कैनाइन दांत टूटने से आदमखोर हो गया था तेंदुआ

उपर के जबड़े का एक कैनाइन दांत टूटने से आदमखोर हो गया था तेंदुआ तेंदुए के शिकार के लिए आवश्यक कैनाइन दांतों में से एक भी टूट जाए तो वह जानवर का शिकार आसानी से नहीं कर पाता और ऐसे में उसके आदमखोर होने की आशंका बनी रहती है।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 09 Jul 2021 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jul 2021 02:22 PM (IST)
Rajasthan: उपर के जबड़े का एक कैनाइन दांत टूटने से आदमखोर हो गया था तेंदुआ
पिंजरे में फंसा आदमखोर तेंदुआ, अब तक सात जनों का शिकार कर चुका ।

उदयपुर, सुभाष शर्मा। तेंदुए के शिकार के लिए आवश्यक कैनाइन दांतों में से एक भी टूट जाए तो वह जानवर का शिकार आसानी से नहीं कर पाता और ऐसे में उसके आदमखोर होने की आशंका बनी रहती है। आम आदमी को भले इस बात पर यकीन नहीं हो रहा लेकिन उदयपुर के जावरमाइंस क्षेत्र में केवड़े की नाल जंगल से पकड़े गए आदमखोर तेंदुए के बारे में वन विभाग के अधिकारियों एवं मेडिकल टीम का यही कहना है।

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उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजीकल पार्क लाए गए तेंदुए की गुरुवार दोपहर मेडिकल जांच की गई। रिपोर्ट से जाहिर हुआ कि पकड़ा गया तेंदुआ नरभक्षी हो गया था। जांच में पता चला कि उसके उपर के जबड़े का एक कैनाइन पैना दांत जो शिकार के लिए बेहद आवश्यक बताया, वह टूट गया था। जिसके चलते वह जानवरों को आसानी से शिकार नहीं कर पा रहा। ऐसे में भूख मिटाने के लिए उसने छोटे मवेशी के अलावा मानव का शिकार शुरू कर दिया। मेडिकल टीम का कहना था कि जानवर का शिकार करने की बजाय मानव का शिकार करना ज्यादा आसान होता है, ऐसे में भूख मिटाने के लिए तेंदुआ आदमखोर हो गया।

उन्होंने बताया कि युवा तेंदुआ बेहद गुस्सा में है और लोगों को देखते ही दहाड़ने लगता है। पिंजरे में होने के बावजूद वह हमले की कोशिश करता है। क्षेत्रीय वन अधिकारी सुरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि तेंदुआ पूरी तरह स्वस्थ है। उसके बेहद आक्रामक होने की वजह से उसे बायोलॉजिकल पार्क के नॉन डिस्पले ऐरिया के पिंजरे में रखा गया है। जहां उसकी हर दूसरे-तीसरे दिन जांच की जाएगी।

अब तक सात जनों का शिकार कर चुका आदमखोर तेंदुआ, जिनमें एक ही गांव की चार महिलाएं

उदयपुर जिले में आतंक बन चुका आदमखोर तेंदुआ पिछले तीन महीनों में सात जनों का शिकार कर चुका है। इनमें जावरमाइंस क्षेत्र के सिंघटवाड़ा गांव की चार महिलाएं शामिल हैं। जिनका शिकार उसने जून महीने में किया। जिनमें मानसिक रूप से विक्षिप्त केसरी बाई, मांगी बाई, अमरी बाई और सूरजी देवी शामिल है। विभाग का कहना है कि गुरुवार को एक बार फिर सिंघटवाड़ा की ओर शिकार करने आते समय वह पिंजरे में आ गया।


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