मौताणे की मांग पर अड़े परिजन, दो दिन बाद भी शव का नहीं हो सका अंतिम संस्कार
आदिवासी इलाकों में किसी की मौत के लिए दूसरे पक्ष किसी व्यक्ति विशेष या फिर समूह को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे हर्जाने के तौर पर नकद राशि वसूली जाती है।
जयपुर, जागरण संवाददाता।राजस्थान में उदयपुर के आदिवासी इलाके कोटड़ा में नहर में मिले युवक का सोमवार को भी अंतिम संस्कार नहीं हो सका। परिजन आरोपितों की गिरफ्तारी और मौताण की मांग पर अड़े हुए है।
मामला कोटड़ा पुलिस थाना क्षेत्र के वागोता गांव का है। गांव का एक युवक डूटा (22) शुक्रवार को लापता हो गया था,जिसका शव रविवार को पास ही एक नहर में मिला था। युवक का शव मिलने के बाद से आदिवासी आक्रोशित है। आसपास के गांवों के आदिवासी पिछले दो दिन से वागोता गांव में जमे हुए है। युवक का शव मिलने के बाद आदिवासियों ने रविवार से ही हंगामा करना प्रारम्भ कर दिया था।
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की काफी समझाने के बाद मृतक युवक के परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने को तैयार हुए। रविवार शाम को पोस्टमार्टम कर दिया गया,लेकिन अब परिजन और आदिवासी समाज मृतक युवक का अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं है। परिजनों ने हत्या की अाशंका जताते हुए दो लोगों के खिलाफ पुलिस थाने में नामजद रिपोर्ट लिखवाई है।
पुलिस के अनुसार परिजनों ने आरोपितों की गिरफ्तारी और उनसे मौताणा मिलने तक शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। शव को नदी के पास ही रख दिया गया है।
क्या है मौताणा
आदिवासी इलाकों में किसी की मौत के लिए दूसरे पक्ष अथवा किसी व्यक्ति विशेष या फिर समूह को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे हर्जाने के तौर पर नकद राशि वसूली जाती है। वसूल की गई राशि को ही मौताणा कहते है। इनमें आरोपित पक्ष को मृतक के परिजनों और समाज के पंचों की मौजूदगी में दोनों पक्षों में राशि तय होती है। यह राशि मृतक के परिजनों को सौंपी जाती है।