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भयभीत परिवार ने नहीं छुआ बच्‍ची का शव, 14 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्‍कार

Coronavirus In Rajasthan भीलवाड़ा जिले के चावंडिया गांव में चार माह की बच्‍ची के कोरोना संक्रमित होने के भय के कारण उसका अंतिम संस्‍कार उपखंड अधिकारी को करना पड़ा।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 08:57 AM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 08:57 AM (IST)
भयभीत परिवार ने नहीं छुआ बच्‍ची का शव, 14 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्‍कार
भयभीत परिवार ने नहीं छुआ बच्‍ची का शव, 14 घंटे बाद हुआ अंतिम संस्‍कार

जयपुर, राज्य ब्यूरो। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के करेड़ा उपखंड के चावंडिया गांव में चार माह की एक बच्ची का शव 14 घंटे तक अंतिम संस्कार का इंतजार करता रहा। बच्ची के परिजनों को यह भ्रम हो गया था कि बच्ची कोरोना पॉजिटिव है। उनका भ्रम दूर करने के लिए उपखंड अधिकारी को आना पड़ा। उन्होंने दो घंटे तक परिवार को समझाया, फिर भी परिजन और गांव वाले नहीं माने तो आखिरकार उन्होंने खुद बच्ची को उठाया और गड्ढा खोद कर अंतिम संस्कार किया। 

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इस बच्ची का परिवार मुंबई में रहता था और कुछ दिन पहले अपने गांव चावंडिया लौटा था। गांव में प्रवेश से पहले परिवार को करेड़ा उपखंड मुख्यालय पर क्वारंटाइन किया गया। यहां जांच में बच्ची का पिता पॉजिटिव पाया गया। ऐसे में इलाज के लिए उन्हें अस्पताल भेज दिया गया जबकि बच्ची, इसकी बहन और मां को नेगेटिव आने पर गांव में होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया। यह सारा घटनाक्रम बुधवार का है। इसी दिन शाम को बच्ची को डायरिया हुआ। गांव के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पता लगा तो उन्होंने ब्लॉक के मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित किया। वहां से गाड़ी आई और बच्ची को अस्पताल ले गई, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही बच्ची की मौत हो गई। बच्ची का शव वापस गांव भेज दिया गया।

 उपखंड अधिकारी महिपाल सिंह ने बताया कि इसी दौरान गांव के लोगों के बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हुआ, जिसमें एक बच्चे के पॉजिटिव होने की सूचना थी। इस व्यक्ति का नाम और बच्ची के पिता का नाम एक जैसा है। ऐसे में परिजनों और गांव वालों को यह भ्रम हो गया कि बच्ची पॉजिटिव थी। परिजन बच्ची की रिपोर्ट देखने पर अड़ गए। महिपाल सिंह ने बताया कि हमारे तहसीलदार ने परिजनों को बच्ची की रिपोर्ट भी दिखा दी, लेकिन परिजन इस बात पर अड़े रहे कि प्रशासन लिखित में दे कि बच्ची नेगेटिव है।

उन्होंने बताया कि वीरवार सुबह मुझे इस बारे में सूचना मिली तो मैं मौके पर गया। परिजनों को काफी समझाया कि डॉक्‍टर की रिपोर्ट पर्याप्त है लेकिन वे नहीं माने। अंततः मैं खुद घर के अंदर गया और बच्ची को उठा कर लाया तथा अंतिम संस्कार की तैयारी की। तब जाकर परिजनों और गांव वालों को भरोसा हुआ कि प्रशासन सच कह रहा है। इसके बाद परिजन और गांववालों ने हमारा सहयोग किया और बच्ची का अंतिम संस्कार हो पाया।


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