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Rajasthan: ट्यूशन फीस कम लेने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद

Tuition Fees निजी स्कूलों की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया है जिसमें 70 फीसद फीस ट्यृशन फीस लेने के आदेश दिए थे। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 05:39 PM (IST)
Rajasthan: ट्यूशन फीस कम लेने के राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद
राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने किया रद। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। Tuition Fees: राजस्थान के निजी स्कूलों की अपील को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस फैसले को रद कर दिया है, जिसमें 70 फीसद ट्यूशन फीस लेने के आदेश दिए गए थे। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बैंच ने यह रोक लगाई है। दरअसल, कोरोना महामारी के बीच अभिभावक निजी स्कूलों से फीस माफी चाहते थे। वहीं, स्कूल संचालक ऐसा करने को तैयार नहीं थे। मामला हाई कोर्ट पहुंचा तो हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल संचालक 70 फीसद ही ट्यूशन फीस लें। इस फैसले के खिलाफ निजी स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट गए थे और उन्होंने पूरी फीस लेने को लेकर अपील की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अभिभावकों की तरफ से लगाई गई याचिका को भी खारिज कर दिया है। प्रदेश के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि विस्तृत फैसला आने के बाद सरकार आगे कदम उठाएगी।

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हाई कोर्ट ने आनलाइन पढ़ाई पर दिया था फैसला

राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांति ने निजी स्कूल फीस विवाद पर 18 दिसंबर, 2020 को फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि जिन स्कूलों ने कोरोना काल में आनलाइन पढ़ाई कराई है वे ट्यूशन फीस 70 फीसद ही ले सकेंगे। कोर्ट ने यह शर्त भी जोड़ी थी कि निजी स्कूल राज्य सरकार की सिफारिश का भी ध्यान रखेंगे। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के निर्देश पर एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा था कि जो स्कूल आनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं वे कुल ट्यूशन फीस का 70 फीसद ही ले सकेंगे। इन सिफारिशों को निजी स्कूल संचालकों ने मानने से इन्कार किया था। अभिभावक भी नाखुश थे। आखरिकार मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। गौरतलब है कि प्रदेश में कोरोना के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। 


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