ALS 50 Drone System: एएलएस-50 ड्रोन सिस्टम का सफल परीक्षण, जानें-इसकी खासियत
ALS 50 Drone System टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड ने पोकरण फायरिंग रेंज में एएलएस-50 ड्रोन सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। यह 23 किलो भर क्षमता को 1000 किमी तक ले जा सकता है। हाल के वर्षों में इस तरह के ड्रोन का उपयोग बहुत बढ़ा है।
जोधपुर, संवाद सूत्र। ALS 50 Drone System: स्वदेशी हथियार विकसित करने के मोर्चे पर देश को एक और बड़ी सफलता मिली है। टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड ने पोकरण फायरिंग रेंज में एएलएस-50 ड्रोन सिस्टम (ALS 50 Drone System) का सफल परीक्षण किया है। मेक इन इंडिया के तहत रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (DRDO) और टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम लिमिटेड के एक्सपर्ट की मौजूदगी में गुरुवार व शुक्रवार दो दिन तक टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम लिमिटेड की ओर से बनाए गए स्वदेशी बमवाहक आत्मघाती ड्रोन एएलएस-50 ड्रोन सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया।
जानें, इसकी खासियत
इस ड्रोन ने बेहद सटीकता के साथ अपने लक्ष्य पर प्रहार किया। इसे सुसाइडल या आत्मघाती ड्रोन भी कहा जाता है। यह 23 किलो भर क्षमता को 1000 किमी तक ले जा सकता है। हाल के वर्षों में इस तरह के ड्रोन का उपयोग बहुत बढ़ा है। यूक्रेन की सेना रूस के खिलाफ इस सुसाइडल ड्रोन का बेहद शानदार अंदाज में उपयोग ले रही है। टाटा एडवांस साबित होता है। लगातार सफल परीक्षण के बाद इसके सेना में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है।
युवा वैज्ञानिकों की टीम ने किया विकसित
सेना की जरूरत के अनुसार इसकी दूरी तय करने की क्षमता व हथियार ले जाने की भार क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। सिस्टम के युवा वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसे विकसित किया है। इसका कुछ माह पूर्व लद्दाख के हाई एल्टीट्यूड वाले इलाके में सफल परीक्षण हो चुका है। यह ड्रोन छोटे व तंग स्थान पर युद्ध के दौरान बेहद कारगर हथियार साबित होगा।
इस मिसाइल की भी जानें खासियत
जून, 2022 में बालासोर के आइटीआर लांचिंग कांप्लेक्स3 में डीआरडीओ ने पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। यह मिसाइल परमाणु संपन्न तथा सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है। पृथ्वी 2 मिसाइल को रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी ज्ञान कौशल से विकसित किया है। पृथ्वी 2 मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम वजन तक के हथियारों को ले जाने में सक्षम है। सतह से सतह पर 350 किलोमीटर से ज्यादा तक मार करने वाली इस मिसाइल में तरल ईंधन वाले दो इंजन लगाए गए हैं। इसे तरल और ठोस दोनों तरह के ईंधन से संचालित किया जाता है। सूत्रों की माने तो 350 किलोमीटर से ज्यादा तक प्रहार करने वाले इस मिसाइल को आइटीआर के प्रक्षेपण परिसर तीन से एक मोबाइल लांचर से दागा गया।
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