एम्स में राजस्थान की पहली रोबेटिक सर्जरी से गर्दन में कैंसर का सफल ऑपरेशन
AIIMS. फलोदी निवासी 60 वर्षीय महिला के मुंह में जीभ पर बड़ा छाला था जिसकी बायोप्सी करने पर कैंसर का पता लगा था।
जोधपुर, जेएनएन। एम्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने राजस्थान का पहला गर्दन के कैंसर का रोबोट के द्वारा ऑपरेशन किया। इसमें ऑपरेशन के लिए कान के पीछे छोटा चीरा लगाकर रोबोट के माध्यम से एक तरफ की गर्दन की सारी कैंसर की गांठो (लिम्फ नोड्स ) को निकाला गया। अभी तक इस तरह के ऑपरेशन के लिए काफी बड़ा चीरा लगा कर के सर्जरी की जाती है, जिसमें बाद में जीवनभर बड़े चीरे का निशान मरीज के गर्दन पर दिखाई देता है।
दरअसल, फलोदी निवासी 60 वर्षीय महिला के मुंह में जीभ पर बड़ा छाला था, जिसकी बायोप्सी करने पर कैंसर का पता लगा था। मुंह का कैंसर गर्दन की लिम्फ नोड्स में जाता है, इसिलए गर्दन की लिम्फ नोड्स की सर्जरी भी करनी होती है। मुंह के ज्यादातर जीभ, या गाल के कैंसर मुंह खोल कर के ही ऑपरेशन किए जाते हैं, लेकिन गर्दन पर सामने बड़ा चीरा लगा कर ही ऑपरेशन करना होता है। ऑपरेशन के बाद ये बड़ा चीरा का मार्क रहता है, जिसको लेकर मरीज भी गर्दन पर बड़े चीरे से चिंतित रहते है।
रोबोटिक पद्धति से ऑपरेशन अभी तक राजस्थान के बाहर गिने चुने बड़े शहरों में ही से किया जाता है। इसके अलावा ये प्रक्रिया काफी खर्चीली होने के कारण आम मरीजों की पहुंच से दूर भी थी, लेकिन अब जोधपुर एम्स में ही राजस्थान के गरीब व अमीर सभी मरीजों के लिए समान रूप से उपलब्ध हैं।
प्लानिग से की प्रथम रोबॉटिक सर्जरी
इस ऑपरेशन से पहले एम्स डायरेक्टर व सर्जिकल ऑन्कोलॉजी प्रोफेसर, डॉ संजीव मिश्रा तथा इसी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जीवन राम विश्नोई ने पूरी प्लानिंग की। यह ऑपरेशन सर्जिकल ऑन्कोलॉजी अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जीवन राम विश्नोई के नेतृत्व में किया गया।
इस सर्जरी की टीम में उनके साथ डॉ अंकित जैन, डॉ अजय शशिधर, एनेस्थेसिया से डॉ भरत पालीवाल, डॉ दीपा अग्रवाल, व नर्सिंग से सोमनारायण, संतोष चौधरी इत्यादि थे। ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है। डॉ जीवन राम विश्नोई के अनुसार राजस्थान में पहली बार इस तरह के ऑपरेशन का श्रेय एम्स के डायरेक्टर डॉ संजीव मिश्रा व अस्पताल अधीक्षक डॉ अरविन्द सिन्हा को जाता है।