Move to Jagran APP

देश में पहली बार हुआ सिस्टिक हायग्रोमा का सफल ऑपरेशन, दुनियां में ऐसे सात का है रिकार्ड

देश में पहली बार सिस्टिक हायग्रोमा (एक तरह की गांठ) का सफल ऑपरेशन किया गया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 09:57 AM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 09:57 AM (IST)
देश में पहली बार हुआ सिस्टिक हायग्रोमा का सफल ऑपरेशन, दुनियां में ऐसे सात का है रिकार्ड
देश में पहली बार हुआ सिस्टिक हायग्रोमा का सफल ऑपरेशन, दुनियां में ऐसे सात का है रिकार्ड

जयपुर, जागरण संवाददाता। देश में पहली बार सिस्टिक हायग्रोमा (एक तरह की गांठ) का सफल ऑपरेशन किया गया। राजस्थान के बूंदी स्थित सरकारी अस्पताल में दो साल की बच्ची का ऑपरेशन करने में डॉक्टर को कामयाबी मिली है। उनका दावा है कि दुनिया में इस तरह के अब तक महज सात ऑपरेशन का ही रिकॉर्ड है। जयपुर स्थित प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल के बजाय एक जिला अस्पताल में इस तरह का ऑपरेशन किए जाने पर चिकित्सा मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक को सम्मानित किया जाएगा।

loksabha election banner

बूंदी के जिला अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ.अनिल सैनी ने बताया कि जिले के केशवपुरा गांव निवासी दो साल की बच्ची खुशी के बायें हाथ की कलाई से कोहनी के बीच 16.50 सेमी.लंबी 9.50 सेमी.चौड़ी गांठ थी। यह गांठ उसके जन्म से ही थी, जो धीरे-धीरे बड़ी होती गई। इससे उसका हाथ भारी हो गया। वह हाथ हिला भी नहीं पा रही थी। इस पर उसके पिता छोटूलाल 14 अक्टूबर को अस्पताल उसको लेकर आए तो जांच में सामने आया कि उसके हाथ में इंफेक्शन हो गया है।

सोनोग्राफी में सामने आया कि बच्ची दुर्लभ बीमारी सिस्टिक हायग्रोमा से पीडि़त है। उन्होंने इस बारे में जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ङ्क्षप्रसिपल डॉ.सुधीर भंडारी, अधीक्षक डॉ. डीएस.मीणा और सर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.जीवन कांकरिया से चर्चा की। इसके बाद बच्ची को जयपुर, दिल्ली अथवा अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों में रैफर करने के बजाय बूंदी के अस्पताल में ही ऑपरेशन करने का फैसला लिया । 25 अक्टूबर को उन्होंंने सफल ऑपरेशन किया गया। बच्ची अब पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने देश में सिस्टिक हायग्राम का पहला ऑपरेशन करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि 80 फीसद मामलों में यह रोग गले-चेहरे पर और 20 फीसद छाती, पेट एवं पैर में होता है।

इसलिए होती है यह दुर्लभ बीमारी

डॉक्टर अनिल सैनी ने बताया कि लसीका तंत्र (लिम्फेटिक सिस्टम) के असामान्य विकसित होने के कारण यह बीमारी हो जाती है। इसमें गांठ धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है। यदि यह बीमारी हाथ में है तो यह पूरी तरह काम करना बंद कर देता है। हाथ का मूवमेंट ही खत्म नहीं होता है बल्कि वह काला भी पड़ जाता है । इससे इंफेक्शन भी होने लगता है।

क्या होता है लसीका तंत्र

जब रक्त केशिकाओं से होकर बहता है, तब उसका द्रव भाग (रुधिर रस) कुछ भौतिक, रासायनिक या शारीरिक प्रतिक्रियाओं के कारण केशिकाओं की पतली दीवारों से छनकर बाहर चला जाता है। बाहर निकला हुआ यही रुधिर रस लसीका (लिम्फ) कहलाता है। यह वस्तुत: रुधिर ही है, जिसमें केवल रुधिरकणों का अभाव रहता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.