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Mehndi: राजस्थान में सोजत की मेहंदी को मिलेगी विशेष पहचान

Mehndi. राजस्थान में सोजत की मेहंदी अपनी रंगत और खुशबू के लिए पहचानी जाती है। अब इस मेहंदी को भौगोलिक संकेतक टैग दिलवा कर विशेष पहचान दिलाई जाएगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 07 Oct 2019 01:16 PM (IST)Updated: Mon, 07 Oct 2019 01:16 PM (IST)
Mehndi: राजस्थान में सोजत की मेहंदी को मिलेगी विशेष पहचान
Mehndi: राजस्थान में सोजत की मेहंदी को मिलेगी विशेष पहचान

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के पाली जिले में स्थित सोजत की मेहंदी अपनी रंगत और खुशबू के लिए पहचानी जाती है। अब इस मेहंदी को भौगोलिक संकेतक टैग (जीआइ टैग) दिलवा कर विशेष पहचान दिलाई जाएगी। इसके साथ ही राज्य के अन्य ऐसे विशिष्ट उत्पादों को भी जीआइ टैग दिलाने के लिए विशेष तंत्र विकसित किया जाएगा।

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भौगोलिक संकेतक (जीआइ टैग) उन विशिष्ट उत्पादों को दिया जाता है, जो किसी क्षेत्र विशेष मे तैयार होते हैं। यह एक तरह का पेटेंट होता है जो केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। राजस्थान में बीकानेरी भुजिया, बगरू प्रिंट, सांगानेरी प्रिंट जैसे 15 उत्पादों को जीआइ टैग मिल चुका है। अब इनमें सोजत की मेहंदी को भी शामिल किया जा रहा है।

राजस्थान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की शासन सचिव मुग्धा सिन्हा ने इसके लिए प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए जल्द ही चेन्नई के जी आइ सेंटर की टीम को बुलाया जाएगा, ताकि सोजत की मेहंदी को जी आइ टैग मिल सके। मुग्धा सिन्हा ने राज्य के उत्पादों को भौगोलिक संकेतक दिलाने के लिए विशेषतंत्र बनाने की बात भी कही है। इसके लिए उन्होंने उद्योग, कृषि, हार्टीकल्चर, खाद्य, पर्यटन, वन विभाग एवं विश्वविद्यालयों तथा भारत सरकार के प्रतिनिधियों के साथ हाल मे एक बैठक भी की है।

उन्होंने संबंधित विभागों के अधिकारियों से कहा है कि अधिक से अधिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक दिलाया जा सके, इसके लिए ऐसे उत्पादों से जुड़े ऐतिहासिक साक्ष्यों, उत्पादों से जुड़े विशेष तथ्यों के शोध के लिए विश्वविद्यालयों को विशेष सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य की लुप्त हो रहे विशेष उत्पादों का संरक्षण किया जाएगा ताकि ये उत्पाद पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते रहें और रोजगार के साथ उत्पादों की गुणवत्ता भी बरकरार रखी जा सके। उन्होंने कहा कि अभी राज्य के 15 उत्पादों को जीआइ टैग मिल चुका है।

उन्होंने बताया कि जीआइ पंजीकरण कराने वाले संस्थाओं को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाएगी तथा पंजीकरण शुल्क का भी पुनर्भरण किया जाएगा। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों को इस संबंध में जागरूक किया जाएगा, ताकि उनके स्तर पर बनने वाले उत्पादों को जीआइ टैग मिल सके। सिन्हा ने बताया कि संबंधित विभागों एवं विश्वविद्यालयों में जीआइ के लिए नोडल ऑफिसर नियुक्त करने के लिए कहा जाएगा। साथ ही राज्य में उत्पादों को पेटेंट कराने के लिए भी विशेष जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे और कार्यशालाएं की जाएंगी।

उन्होंने कहा कि महिला उद्यमियों को पेटेंट एजेंट बनाने के लिए विश्वविद्यालयों में विशेष कार्यशालाओं के जरिये प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा ताकि उन्हें रोजगार से जोड़ा जा सके। विश्वविद्यालयों में भी पेटेंट ऑफिसर नियुक्त करने के संबंध में निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जीआइ टैक एवं पेटेंट को बढ़ावा देने के लिए पोर्टल से जोड़ा जाएगा और पर्यटन, कृषि, उद्योग, कला एवं संस्कृति और शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित कर विशेष नीति के तहत कार्य किया जाएगा।

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