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रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार आइआरएस अधिकारी सहीराम व उसके साथी खुद कराते थे तस्करी

Smuggling in Rajasthan. जांच में खुलासा हुआ कि नारकोटिक्स विभाग में क्लर्क से लेकर अफसर तक किस तरह फर्जीवाड़ा करते हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 06:59 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 06:59 PM (IST)
रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार आइआरएस अधिकारी सहीराम व उसके साथी खुद कराते थे तस्करी
रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार आइआरएस अधिकारी सहीराम व उसके साथी खुद कराते थे तस्करी

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान में अफीम की खेती नारकोटिक्स विभाग के अफसरों के लिए पैसा कमाने की खेती से कम नहीं है। राज्य के हाड़ौती और मेवाड़ क्षेत्र में अफीम के लाइसेंस (पट्टे) जारी करने एवं क्षेत्र के मुखिया बनाने से लेकर डोडा-पोस्त नष्ट कराने तक में नारकोटिक्स विभाग में नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसर जमकर पैसों की लूट मचा रहे है। नारकोटिक्स विभाग के अतिरिक्त आयुक्त और वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी सहीराम मीणा से तीन दिन की पूछताछ में राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अधिकारियों के समक्ष कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है।

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जांच में खुलासा हुआ कि नारकोटिक्स विभाग में क्लर्क से लेकर अफसर तक किस तरह फर्जीवाड़ा करते हैं। जांच में सामने आया कि जिन नारकोटिक्स विभाग के अफसरों के पास डोटा-पोस्त नष्ट कराने की जिम्मेदारी थी, वे नष्ट कराने के बजाय खुद ही तस्करी कराते है। अफसरों के तस्करों के साथ गहरे रिश्ते है। सहीराम मीणा को 26 जनवरी को एक लाख की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। जांच में उसके पास करीब 400 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की बात सामने आई है। पिछले माह एक क्लर्क को भी पकड़ा गया था।

पैसों के लिए ऐसे करते हैं फर्जीवाड़ा
केंद्र सरकार का नारकोटिक्स विभाग अफीम की खेती के लिए पट्टे जारी करता है। इसके साथ ही अफीम के पुश्तैनी किसानों के पास यदि पट्टे है तो समय-समय पर उनका नवीनीकरण किया जाता है। पट्टे जारी करने और नवीनीकरण करने में नारकोटिक्स विभाग के कर्मचारी से लेकर अफसर तक काफी पैसे लेते है। इसी तरह नारकोटिक्स विभाग अफीम खरीदने के लिए एक साल के लिए मुखिया बनाता है, जिनके माध्यम से अफीम की खरीद होती है। वैसे तो नारकोटिक्स विभाग विभाग को खुद ही खरीद करनी होती है, लेकिन कर्मचारी जगह-जगह पर नहीं जा सकते, इसलिए मुखिया की नियुक्त की जाती है।

मुखिया की नियुक्ति के लिए अफसर मोटी रकम लेते हैं। कम गुणवत्ता की अफीम होने पर सरकारी खरीद करवाकर रिश्वत वसूली जाती है। अफसर और दलाल मिलकर अफीम के तौल में फर्जीवाड़ा करते हैं। अफीम निकलने के बाद डोडा-पोस्त को नष्ट कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन नारकोटिक्स विभाग के अफसर दलालों के साथ मिलीभगत करके पंजाब और मध्य प्रदेश में अवैध रूप से बिकवा देते हैं।

देश में तीन राज्यों में नारकोटिक्स विभाग की यूनिट
नारकोटिक्स विभाग की पूरे देश में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ही यूनिट है। नारकोटिक्स कमिश्नर मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बैठते हैं। राजस्थान के कोटा संभाग और चित्तौड़गढ़ जिले में अफीम की खेती होती है, इस कारण यहां अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी का कार्यालय खोला गया है।

सहीराम निकला बड़ा भूमाफिया
400 करोड़ की संपत्ति का मालिक सहीराम एसीबी की जांच में भू-माफिया निकला है। मंगलवार को सामने आया कि जयपुर के वाटिका रोड़ पर खसरा नंबर 275 पर प्रेम पैराडाइज नाम से सहीराम ने जो विवाह स्थल बना रखा है, वह जयपुर विकास प्राधिकरण की जमीन पर अवैध कब्जा करके बनाया गया है। उसने जयपुर के विधाधर नगर में भी सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। उल्लेखनीय है कि एसीबी की जांच में सहीराम और उसके परिजनों के जयपुर में 106 प्लॉट, प्रदेश के विभिन्न इलाकों में दस बीघा कृषि भूमि, दो औद्योगिक क्षेत्रों में प्लॉट, 25 दुकानें, दो फार्म हाउस, एक होटल होने की बात सामने आई है। उसके जयपुर और कोटा स्थित घर से करीब 8 करोड़ रूपए नकद मिले है। 15 बैंक खातों की जांच की जा रही है। 


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