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श्रीजी के दर वैष्णवों को मिल रहा कोड़े का प्रसाद

आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि पुष्टियमार्गीय सम्प्रदाय की प्रधान पीठ एवं श्रीजी प्रभु के दर आने वाले वैष्णवों को इस दिनों कोड़े का प्रसाद मिल रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 11:17 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 11:17 AM (IST)
श्रीजी के दर वैष्णवों को मिल रहा कोड़े का प्रसाद
श्रीजी के दर वैष्णवों को मिल रहा कोड़े का प्रसाद

उदयपुर, जेएनएन । आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि पुष्टियमार्गीय सम्प्रदाय की प्रधान पीठ एवं श्रीजी प्रभु के दर आने वाले वैष्णवों को इस दिनों कोड़े का प्रसाद मिल रहा है। अब आपको लगेगा कि कोड़े का कोई प्रसाद बनता होगा, जो श्रीजी प्रभु को धराया जाता होगा, अगर आप ऐसा सोच रहे है तो बिल्कुल गलत है।

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बचपन में हम "कोड़े की धमाल भई, पीछे देखे मार भई" जैसा एक खेल खेलते थे। सभी बाल स्वरूप कृष्ण एक गोले में बैठते थे और एक जना कपड़े का बनाया हुआ कोड़ा हर पीछे देखने वाले कि पीठ पर बरसाता था। ऐसा होता था कोड़े का खेल। अब हम आपको बताते है श्रीजी के दर पर बंटने वाले कोड़े के बारे में।

दरअसल शुक्रवार को नाव मनोरथ के दर्शन थे। भगवान नाव में झूल रहे थे और दर्शनार्थी उसके दर्शन को आतुर हो रहे थे। इधर दर्शनार्थियों को व्यवस्थित करने का सेवाधारियों को कोई आइडिया नहीं सूझा तो उन्होंने कंधे पर रखे हुए गमछे को बना दिया कोड़ा। भगवान के सामने ही भीड़ पर बरसने लगे कोड़े। गर्मी की तल्खी पर कोड़े बरसने लगे तो ऐसा आभास हुआ मानो कोई गर्म लोहे का तार मार रहा है। अब सवालिया निशान ये उठता है कि दूर दराज से वैष्णव कोड़े खाने आ रहे है या दर्शन करने। श्रीजी कृष्ण की नगरी है। जबकि यहाँ के वैष्णव इसे परम्परा कहते हैं। 

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