शिल्पग्राम उत्सव-2019: शिल्प मेला देखने पहुंचे राज्यपाल कलराज मिश्र, कला प्रस्तुतियों का उठाया लुत्फ
Shilpgram Festival 2019दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव-2019 इस असवर पर राज्यपाल कलराज मिश्र शिल्पग्राम पहुंचे तथा लोक कलाकारों के नृत्य का लुत्फ उठाया।
उदयपुर, जेएनएन। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव-2019 के शनिवार को उद्घाटन के अगले दिन रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र एक बार फिर शिल्पग्राम पहुंचे तथा लोक कलाकारों के नृत्य का लुत्फ उठाया।
कला और शिल्प के प्रोत्साहन के लिये आयोजित उत्सव में रविवार शाम एक बार फिर रंगमंच पर पूर्वोत्तर राज्यों से आये कलाकारों ने अपनी सुरमय और सौमयपूर्ण प्रस्तुतियों स दर्शकों के हृदयों को लुभाया। इनमें मिजोरम का चेरो नृत्य सुंदर प्रस्तुति बन सकी। पारंपरिक परिधान में मिजो नर्तकियों ने बेम्बू डांस में लय के साथ सुंदर तारतम्य बनाते हुए अपनी संस्कृति का दर्शन करवाया। इस असवर पर ऑडीशा का संबलपुरी नृत्य वहां की आस्थिकपरंपरा का वाहक बन सका।
कार्यक्रम में पुरूलिया छऊ के कलाकारों ने पौराणिक कथाओं के प्रसंग का का मंचन प्रभावी ढंग से किया। कार्यक्रम के दौरान ही राज्यपाल एवं पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के अध्यक्ष श्री कलराज मिश्र शिल्पग्राम पहुंचे तथा लोक कला प्रस्तुतियों को निहारा। इस अवसर पर अलवर के नूरूद्दीन मेवाती ने भपंग वादन में लोक प्रिय प्रसंग टर्र प्रस्तुत कर अतिथियों और दर्शकों का मनोरंजन किया।
इस अवसर पर किशनगढ़ की गूजर बालाओं द्वारा चरी नृत्य प्रस्तुत किया गया। ढोल और बांकिये की टेर पर चरी में अग्नि प्रज्जवलित कर बालाओं ने अपनी संस्कृति का आकर्षक प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में असम का ढाल
थुंगड़ी जहां चित्त मोहक प्रस्तुति बन सकी वहीं लेबांग बुमिनी में अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मेाह लिया।
रंगमंच पर गुजरात की आदिम जाति डांगी समुदाय का डांगी नृत्य में कलाकारों ने शरनाई व ढोल की थाप पर आकर्षक पिरामिड की रचना कर दर्शकों को रोमांचित किया। कार्यक्रम में राजस्थान का कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति दर्शकों को खूब रास आई नेेत्र पलक से अंगूठी उठाने के करतबो पर दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकार का अभिवादन किया।
रविवारीय सांझ दर्शक दीर्घा में बैठे दर्शकों को विभिन्न लोक वाद्यों से सजी ‘झंकार’ की प्रस्तुति ने अभिभूत सा कर दिया जिसमें तंतु वाद्य, फूंक वाद्य, धातु वाद्य आदि की ध्वनियों का कलात्मक मिश्रण तथा आरोह अवरोह
श्रेष्ठ बन सका। इस पूर्व दोपहर में मेला प्रारम्भ होते ही शहर से बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे तथा हाट बाजार की टोह लेने के साथ शिल्प उत्पादों की खरीददारी का दौर प्रारम्भ किया। जिसमें महिलाओं की भीड़ वस्त्र संसार, अलंकरण व ऊनी व गर्म परिधानों रही। इसके अलावा लोगों ने मेले मे खान-पान के व्यंजनों का आनन्द उठाया।