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दो दुष्कर्मियों को फांसी की सजा, 20 दिन में राजस्थान में दूसरा बड़ा फैसला

इससे पहले अलवर जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अदालत ने एक दुष्कर्मी को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 06:09 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 06:44 PM (IST)
दो दुष्कर्मियों को फांसी की सजा, 20 दिन में राजस्थान में दूसरा बड़ा फैसला
दो दुष्कर्मियों को फांसी की सजा, 20 दिन में राजस्थान में दूसरा बड़ा फैसला

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में बाड़मेर जिले के रड़वा गांव में पांच साल पहले एक नाबालिग की दुष्कर्म के बाद की गई हत्या के मामले में कोर्ट ने दो मुख्य अभियुक्तों को फांसी की सजा सुनाई है। बाड़मेर जिला एससी, एसटी कोर्ट ने मामले के तीन सह अभियुक्तों को सात-सात साल की सजा एवं 25-25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है।

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मुख्य अभियुक्तों पर भी 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। 20 दिन के अंदर दुष्कर्म के मामले में फांसी का प्रदेश में यह दूसरा मामला है। इससे पहले पिछले माह 21 जुलाई को ही में अलवर जिले में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अदालत ने एक दुष्कर्मी को फांसी की सजा सुनाई गई थी।

घर से उठाकर ले गए थे नाबालिग को

वर्ष 2013 में घेवर सिंह राजपुरोहित एवं श्रवण सिंह राजपुरोहित एक नाबालिग को उसके घर से उठाकर ले गए थे। दोनों ने नाबालिग को सुनसान इलाके में ले जाकर उससे दुष्कर्म किया और बाद में पहाड़ी से फेंक दिया था, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई । इस संबंध में बाड़मेर महिला थाने में मामला दर्ज किया गया था। जांच अधिकारी तत्कालीन वृताधिकारी नाजिम अली ने जांच पड़ताल के बाद मुख्य दोनों आरोपितों समेत इस मामले में उनका सहयोग करने वाले तीन अन्य आरोपियों प्रहलाद सिंह, नृसिंह सिंह और शंकर सिंह को गिरफ्तार कर लिया।

दोनों मामलों में सुनाई फांसी की सजा

जांच के बाद मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया था। पांच साल तक चली सुनवाई के बाद मंगलवार को बाड़मेर एसी-एसटी कोर्ट की पठासीन अधिकारी वमिता सिंह ने इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने घेवर सिंह और श्रवण सिंह को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानते हुए दोनों मामलों में फांसी की सजा सुनाई।

वहीं, तीनों अन्य सहअभियुक्तों प्रहलाद सिंह, नृसिंह सिंह और शंकर सिंह को सात-सात साल की कैद और 25-25 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। मामले में पीड़ित पक्ष की तरफ से सरकारी अधिवक्ता सवाई कुमार माहेश्वरी और अधिवक्ता करणाराम चौधरी ने पैरवी की। 


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