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दबाव बनाने दिल्ली पहुंचे सचिन की राहुल-प्रियंका से नहीं हुई मुलाकात, दोनों खेमों के एकजुट होने के संकेत नहीं

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमों में बंटी कांग्रेस में एकजुट होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं। आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत दिल्ली पहुंचे पायलट की पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात नहीं हो सकी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 11:35 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 11:35 PM (IST)
दबाव बनाने दिल्ली पहुंचे सचिन की राहुल-प्रियंका से नहीं हुई मुलाकात, दोनों खेमों के एकजुट होने के संकेत नहीं
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमों में एकजुट होने के संकेत नहीं

नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमों में बंटी कांग्रेस में एकजुट होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं। करीब 10 माह पुराने वादे को पूरा करने को लेकर आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत दिल्ली पहुंचे पायलट की पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात नहीं हो सकी। उधर, पिछले साल जब पायलट ने बगावत की थी, उस दौरान जो विधायक उनके साथ थे, वह अब गहलोत के गुणगान करते नजर आ रहे हैं। बसपा से कांग्रेस में आए विधायक तो पायलट व उनके खेमे के विधायकों को गद्दार बता रहे हैं। हालांकि, इस पर पायलट खेमे ने पलटवार कर उनको आईना दिखाया है।

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कुछ दिनों पहले जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने के बाद सचिन पायलट खेमा एक बार फिर सक्रिय हो गया था। दबाव बनाने के लिए पायलट दिल्ली पहुंच गए थे। रणनीति के तहत उनकी पार्टी आलाकमान से मिलने की तैयारी थी, लेकिन उनकी राहुल व प्रियंका दोनों से मुलाकात नहीं हो सकी। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने समय नहीं दिया या फिर कोई और वजह से मुलाकात नहीं हो सकी, इसको लेकर जानकारी नहीं हो सकी। हालांकि, इस बीच राजस्थान में तेजी से घटनाक्रम बदला। पहले दबाव में नजर आ रहे गहलोत ने पायलट खेमे के कुछ विधायकों को अपने पाले में लिया है।

पायलट समर्थक शर्मा बोले-सचिन नेता, पर गहलोत सुपर नेता

पिछले साल पायलट के साथ मिलकर कांग्रेस से बगावत करने वाले विधायक भंवरलाल शर्मा ने मंगलवार को यू-टर्न ले लिया। उन्होंने कहा कि गहलोत को आलाकमान ने मुख्यमंत्री बनाया है । सचिन नेता हैं, मगर गहलोत सुपर नेता। पायलट को भी उन्हें नेता मानना पड़ेगा। दो अन्य विधायक विश्वेंद्र सिंह और पीआर मीणा भी पाला बदलकर गहलोत खेमे में पहुंच गए। ये तीनों ही विधायक पायलट के विश्वस्त माने जाते थे।

एक-दूसरे को बताया गद्दार

इसी बीच बसपा विधायक दल का कांग्रेस में विलय करने वाले विधायकों ने मंगलवार को जयपुर में बैठक कर पायलट पर निशाना साधा। विधायक संदीप यादव ने कहा कि जिन लोगों ने पार्टी के साथ गद्दारी की, सरकार को अस्थिर करने का काम किया, वे अब आलाकमान पर दबाव बना रहे हैं। आलाकमान को चाहिए कि वह पायलट खेमे को दरकिनार करे। गद्दारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

वहीं, पायलट खेमे दो विधायकों मुकेश भाकर व राकेश पारीक ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि गद्दार तो बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक हैं, जिन्होंने मंत्री बनने के लिए दल बदला। वे पहले भाजपा से टिकट मांग रहे थे, कामयाब नहीं हुए तो बसपा में पहुंच गए। जिनका कांग्रेस से कोई जुड़ाव नहीं, वे हम पर सवाल उठा रहे हैं।

इस बीच बसपा से आए विधायक राजेंद्र गुढ़ा, जोगेंद्र सिंह अवाना व लाखन सिंह ने कहा कि अगर हम और 10 निर्दलीय साथ नहीं देते तो अब तक गहलोत सरकार गिर गई होती । हमारे कारण सरकार बची, अब हमें अपना हक मिलना चाहिए । कुमार विश्वास के बहाने गहलोत पर साधा निशानाभाकर और पारीक ने मंगलवार शाम प्रेस कांफ्रेंस कर गहलोत पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विरोध करने वालों को सरकार में पद किए जा रहे हैं। कुमार विश्वास ने कांग्रेस का विरोध किया तो उनकी पत्नी को राज्य लोकसेवा आयोग का सदस्य बनाया गया । ये नियुक्ति सीएम ने की है। उन्होंने विधायकों के टेलीफोन टेप कराए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आरएसएस वालों के सरकार में काम हो रहे हैं। अधिकारी हमारे फोन नहीं उठाते।


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