Pehlu Khan Case: राजस्थान के डिप्टी सीएम पायलट ने फिर उठाए सीएम गहलोत की कार्यशैली पर सवाल
Sachin Pilot. सीएम को सत्ता के दलालों से दूर रहने की सीख देने वाले पायलट ने कहा कि पहलू खान मामले की जांच के लिए एसआईटी पहले ही गठित हो जाती तो आरोपित बरी नहीं होते।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में सत्ता के दो केंद्र बने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान लगातार बढ़ती ही जा रही है। पूर्व पीएम स्व. राजीव गांधी की जयंती पर मुख्यमंत्री को सत्ता के दलालों से दूर रहने की सीख देने वाले पायलट ने एक दिन बाद ही अलवर में कहा कि पहलू खान मामले की जांच के लिए एसआईटी पहले ही गठित हो जाती तो आरोपित बरी नहीं होते। पायलट ने कहा कि एसआईटी गठित करने में आठ माह लगा दिए, यदि ऐसा पहले ही हो गया होता तो निचली अदालत का फैसला कुछ और ही होता।
उधर, मामले की जांच में जुटी एसआईटी के सामने पुलिस अधिकारियों की कई खामियां नजर आई हैं। एसआईटी की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि पुलिस के सिस्टम ने पहलू खान को एक बार नहीं कई बार मारा। बुधवार व गुरुवार दो दिन की प्रारंभिक जांच में एसआईटी अधिकारियों ने माना कि यदि पुलिस अधिकारी सही जांच करते तो अलवर एडीजे कोर्ट से छह आरोपित बरी नहीं हो सकते थे।
एसआईटी की जांच में खुल रही पुलिस जांच की परतें
एडीजे द्वारा दिए गए फैसले से साफ हो गया कि पहलू खान को पुलिस सिस्टम ने कई बार मारा। पहलू खान ने मरने से पहले बहरोड के कैलाश हॉस्पिटल में अपने डाइंग डिक्लेरेशन में जिन छह लोगों का नाम बताया था, उन्हें पुलिस ने क्लीन चिट दे दी और नौ दूसरे आरोपित बनाए थे, जिसमें से तीन नाबालिग होने की वजह से किशोर न्यायालय में विचाराधीन हैं। छह लोगों को अलवर एडीजे कोर्ट ने बरी कर दिया। एसआईटी के सामने अब अब सवाल उठता है कि पहलू खान को किसने मारा। जांच में जुटे आला अफसरों का व्यक्तिगत बातचीत में मानना है कि पहलू खान को अकेले भीड़ ने नहीं बल्कि पूरे सिस्टम ने मारा है।
एक अप्रैल, 2017 पहलू खान जयपुर के हटवाड़ा से गाय खरीद कर ले जा रहा था। उसके पास इसके दस्तावेज थे। बहरोड में हाईवे पर भीड़ ने उसे घेर लिया और उसकी पिटाई की। पहलू खान के साथ उसके दो बेटे भी थे। एसआईटी को सूत्रों से मिले वीडियो में साफ दिख रहा है कि स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में किस तरह से लोगों पहलू खान की पिटाई कर रहे हैं। पहलू खान घायल हो गया, तब पुलिस ने उसे बचाया। उसके बाद पहलू खान चार घंटे तक सड़क किनारे पड़ा रहा। पुलिस उसे अस्पताल ले जाने के बजाय कागजी कार्रवाई में लगी रही। उसके बाद रात के 11 बजे उसे बहरोड के कैलाश अस्पताल में भेजा गया। पहलू खान को सरकारी सिस्टम ने दूसरी बार तब मारा जब पहलू उसने अपने बयान में छह लोगों के नाम बताए थे, जो हिंदृवादी संगठनों से जुड़े हुए थे। जैसे ही इनके नाम सामने आए, तत्कालीन भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि यह सब हमारे कार्यकर्ता है। उन्होंने कहा कि यह आरोपित नहीं हो सकते, क्योंकि यह तो गायों को सौंपने गोशाला गए थे।
तत्कालीन गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने भी आहूजा की बात को सही मानते हुए आरोपितों का बचाव किया। पुलिस ने जांच सभी छह आरोपितों को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया। इसके बाद तीसरी बार फिर पुलिस के सिस्टम ने पहलू खान को तब मारा, जब एक वीडियो फुटेज के आधार पर नौ आरोपितों की पहचान करने का दावा किया। इनमें छह वयस्क और तीन नाबालिग बताए गए। लेकिन जब केस का कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ तो चार्जशीट दाखिल करते वक्त जांच अधिकारी ने वीडियो बनाने वाले रविंद्र यादव को कोर्ट में यह कहते हुए पेश नहीं किया कि वह कहीं मिल नहीं रहा है। वीडियो फुटेज को एफएसएल जांच के लिए भी नहीं भेजा गया। पुलिस ने पहलू खान के दोनों बेटों से आरोपितों की शिनाख्त नहीं कराई।
पांचवीं बार हो रही जांच
इसी बीच, सत्ता बदली और कांग्रेस सरकार बनने के बाद भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। पहलू खान को पुलिस सिस्टम ने चौथी तब मारा, जब पुलिस ने चार्जशीट में दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट लगाई है। इनमें कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से यह साबित नहीं हो पा रहा है कि पहलू खान की मौत कैसे हुई है। एक रिपोर्ट में उसकी मौत हार्टअटैक होने से और दूसरी में मारपीट से होना बताया गया। सरकारी अस्पताल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और कैलाश अस्पताल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह को लेकर अंतर है। पुलिस की यही लापरवाही आरोपितों के बरी होने के काम आई। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पहलू खान के परिजनों को इंसाफ की उम्मीद बंधी थी। लेकिन पुलिस ने जब आखिरी चार्जशीट पेश की तो उसमें मृतक पहलू खान को भी आरोपित बना दिया। बवाल मचने के बाद अब गहलोत सरकार इस मामले की पांचवी बार जांच करा रही है।