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रॉबर्ट वाड्रा ने अंतिम बहस के लिए मांगा समय, अब 12 सितंबर को होगी सुनवाई

Robert Vadra. राजस्थान हाई कोर्ट में रॉबर्ट वाड्रा के अधिवक्ता ने बहस के लिए समय देने की मांग की है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 22 Aug 2019 06:52 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 06:52 PM (IST)
रॉबर्ट वाड्रा ने अंतिम बहस के लिए मांगा समय, अब 12 सितंबर को होगी सुनवाई
रॉबर्ट वाड्रा ने अंतिम बहस के लिए मांगा समय, अब 12 सितंबर को होगी सुनवाई

जोधपुर, जेएनएन। बीकानेर जिले के कोलायत में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े मामले में गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वाड्रा के अधिवक्ता ने बहस के लिए समय देने की मांग की। ईडी के अधिवक्ता ने इसका कड़ा विरोध किया। लेकिन न्यायाधीश ने वाड्रा के अधिवक्ता को समय देते हुए अगली सुनवाई तिथि बारह सितंबर तय कर दी। वहीं, इस मामले में वाड्रा व उनके पार्टनरों की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की तरफ से लगाई गई रोक जारी रहेगी।

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न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की अदालत में आज इस मामले में अंतिम बहस होनी थी, लेकिन सुनवाई शुरू होते ही वाड्रा के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें अंतिम बहस के लिए कुछ समय और चाहिए। वहीं, ईडी के अधिवक्ता एएसजी रस्तोगी ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा कि बार-बार समय देना उचित नहीं रहेगा। ऐसे में आज ही अंतिम बहस कर ली जाए। दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात न्यायाधीश मूलचंदानी ने इस मामले की अगली सुनवाई तिथि बारह सितंबर तय कर दी। अब बारह सितंबर को अंतिम बहस होगी। हालांकि इस मामले में राबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी पर न्यायालय की तरफ से लगाई गई अंतरिम रोक अगली सुनवाई तिथि तक जारी रहेगी।

जानें, क्या है मामला

वर्ष 2007 में रॉबर्ट वाड्रा ने स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। राबर्ट व उनकी मां मौरिन इस कंपनी के डायरेक्टर बनाए गए। बाद में कंपनी का नाम बदल कर स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड लायबिलिटी कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन के वक्त बताया गया था कि ये कंपनी रेस्टोरेंट, बार और कैंटीन चलाने जैसे काम करेगी।

वाड्रा की कंपनी ने वर्ष 2012 में कोलायत क्षेत्र में कुछ दलालों के माध्यम से 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपये में खरीदी। बीकानेर में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लिए जमीन अवाप्त की गई थी। विस्थापितों के लिए अन्यत्र 1400 बीघा आवंटित की गई थी। लेकिन कुछ लोगों ने इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार करवा वाड्रा की कंपनी को बेच दिया। यह जमीन सेना की थी और इसका बेचान नहीं हो सकता था। इन लोगों के माध्यम से ही वाड्रा ने क्षेत्र के कुछ गांवों में और जमीन खरीदने का प्रयास किया, लेकिन मामला आगे बढ़ नहीं पाया। फर्जी तरीके से जमीन के बेचान का मामला उजागर होने से पहले वाड्रा की कंपनी ने पांच करोड़ रुपये में अपनी जमीन बेच दी। ईडी ने इस मामले में कुछ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी। उनकी मिलीभगत से कुछ लोगों ने जमीन के फर्जी कागजात तैयार कराए।

मनी लांड्रिंग से जुड़े इस मामले की ईडी ने जांच शुरू की थी। ईडी की पूछताछ से बचने के लिए वाड्रा लम्बे अरसे से प्रयास करते रहे। कई बार समन जारी करने के बावजूद वे ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। आखिरकार ईडी के सख्ती दर्शाने पर वाड्रा ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में अपील दायर कर पूछताछ पर ही सवालिया निशान लगाया। लेकिन हाईकोर्ट ने वाड्रा को आदेश दिया कि वे बारह फरवरी को अपनी मां मौरिन के साथ ईडी के समक्ष पेश हो उसके सवालों का जवाब दे। 

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