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Delhi Violence: रतनलाल का बेटा बोला, मैं भी दिल्ली पुलिस में भर्ती होऊंगा

Ratanlal Son. रतनलाल का सात साल का बेटा बार-बार यही कहता रहापापा मुझे बहुत प्यार करते थे अब इतना प्यार कौन करेगा। पापा मुझे अकेला छोड़ गए अब मैं क्या करूंगा।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 06:44 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 07:11 PM (IST)
Delhi Violence: रतनलाल का बेटा बोला, मैं भी दिल्ली पुलिस में भर्ती होऊंगा
Delhi Violence: रतनलाल का बेटा बोला, मैं भी दिल्ली पुलिस में भर्ती होऊंगा

जागरण संवाददाता, जयपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में दिल्ली में हुई हिंसा में गोली लगने से जान गंवाने वाले पुलिस के हेडकांस्टेबल रतनलाल बारी का शव दो दिन बाद बुधवार को सीकर जिले में स्थित उनके पैतृक गांव तिहावली पहुंचा। बेटे का शव देखकर रतनलाल की 70 वर्षीय मां संतरा देवी बेसुध हो गई।

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रतन लाल की पत्नी पूनम बार-बार बेहोश हो रही थी। ऐसे में रतन लाल की दोनों बेटियां कनक एवं सिद्धी दादी और मां को संभालते हुए खुद बिलख पड़ती। गांव के लोग दोनों बेटियों को संभालते। 12 साल की सिद्धि एवं 10 की बेटी कनक खुद रोते-रोते दादी और मां को होश में लाने के लिए अपने हाथों से उनकी हथेलियां रगड़ती रही। इस दृश्य को को जिन्होंने भी देखा वे खुद भी अपने आंसू रोक नहीं सके। वहीं, रतनलाल का सात साल का बेटा बार-बार यही कहता रहा,पापा मुझे बहुत प्यार करते थे, अब इतना प्यार कौन करेगा। पापा मुझे अकेला छोड़ गए, अब मैं क्या करूंगा।

रतनलाल की रविवार को दिल्ली के जाफराबाद में ड्यूटी के दौरान हिंसा में मौत हो गई थी। इसके तीन दिन पहले ही रतनलाल और उनकी पत्नी पूनम ने अपनी शादी की 13 वीं वर्षगांठ मनाई थी। शादी की वर्षगांठ पर रतनाल ने मां को फोन कर आशीर्वाद मांग और होली पर गांव आने का वादा भी किया । बुधवार को जब रतनलाल का अंतिम संस्कार होने लगा तो उनकी दोनों बेटियां जिस तरह से अपने पिता के शव से लिपट कर रोने लगी तो वहां मौजूद लोगों का कलेजा फट गया। बेटे ने पिता के शव को मुखाग्नि देने के बाद कहा कि मैं भी बड़ा होकर दिल्ली पुलिस में भर्ती होऊंगा।

तीन भाइयों में सबसे बड़े थे रतन लाल

रतनलाल के छोटे भाई दिनेश ने बताया कि रतनलाल 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। वर्तमान में उनकी तैनाती गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी ऑफिस में थी। रविवार को बुखार होने के बावजूद भी वे ड्यूटी पर पहुंचे थे। करीब ढाई साल पहले ही रतनलाल के पिता बृजमोहन बारी की मौत हुई थी। तीन भाइयों में रतनलाल सबसे बड़े थे। उनका एक छोटा भाई दिनेश गांव में ही खेतीबाड़ी और गाड़ी चलाकर परिवार का पेट भरता है। वहीं, एक अन्य छोटा भाई रमाकांत बेंगलूरू में रहकर निजी कंपनी में नौकरी करता है। 

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