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Ram Mandir Ayodhya: राजस्थान के पत्थर से बनेगा राम मंदिर, 5 हजार साल तक है इसकी उम्र

भरतपुर के बंशीपहाड़पुर के मजदूरोंकारीगरों व व्यापारियों में उत्साह का माहौलयहीं के पत्थर से बनेगा राम मंदिर- डालने से पत्थर चमकता है- 5 हजार साल तक है पत्थर की उम्र

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 09:56 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 12:54 PM (IST)
Ram Mandir Ayodhya: राजस्थान के पत्थर से बनेगा राम मंदिर, 5 हजार साल तक है इसकी उम्र
Ram Mandir Ayodhya: राजस्थान के पत्थर से बनेगा राम मंदिर, 5 हजार साल तक है इसकी उम्र

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को भूमि पूजन होगा। राम मंदिर के भूमि पूजन से राजस्थान के भरतपुर जिले के बंशीपहाड़पुर और सिरोही के पिंडवाड़ा में जश्न का माहौल है। यहां पत्थर तराशी का काम करने वाले मजदूर पिछले तीन दिन से जश्न मना रहे हैं। मजूदर खुश हैं कि उनकी मेहनत सफल हो गया, भगवना राम ने उनकी सुन ली।

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दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए करीब 4 लाख घन फीट पत्थर का इस्तेमाल होगा। इसमें से करीब 2.75 लाख घन फीट पत्थर भरतपुर के बंशी पहाड़पुर का सैंड स्टोन होगा और करीब 1.25 लाख घन फीट पत्थर सिरोही जिले के पिंडवाड़ा का उपयोग में लिया जाएगा। अब तक करीब डेढ़ लाख घनफीट पत्थर अयोध्या भेजा जा चुका है।

विहिप के प्रांत प्रचारक चंद्रप्रकाश का कहना है कि बंशी पहाड़पुर में पत्थर तराशी का काम साल,2006 से चल रहा है। यहां के व्यापारी आस्था के कारण कम दाम में पत्थर उपलब्ध करा रहे हैं। बंशी पहाड़पुर में सैंड स्टोन के खनन एवं तराशी का काम करने वाले मजदूरों एवं व्यापारियों का कहना है कि कई सालों तक हमने प्रार्थना की, तब भगवान राम ने हमारी सुनी, इसलिए यहां खुशी का माहौल है। इनका कहना है कि बंशी पहाड़पुर के सैंड स्टोन की विशेषयता यह है कि इसकी उम्र 5 हजार साल होती है। पानी डालने पर यह चमकता है। देश की कई प्राचीन इमारतों में यहीं का पत्थर लगा हुआ है।

साल, 2006 से भेजा जा रहा है पत्थर

साल, 2006 से अयोध्या के कारसेवक पुरम में बंशी पहाड़पुर व पिंडवाड़ा का पत्थर भेजा जा रहा है। दोनों जगह से अब तक करीब डेढ़ लाख घनफीट पत्थर भेजा जा चुका है। कारसेवक पुरम में यहां से भेजे गए पत्थर की नक्काशी होती है। राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख तय होने के बाद पत्थर भेजने के काम में तेजी आई है। विहिप के विभाग अध्यक्ष सतीश भारद्वाज का कहना है कि इस इलाके के महलपुर चूरा, तिछरा, छऊआमोड़ और सिरोंधा की खानों के पत्थर को टेस्टिंग के बाद चयनित किया गया है। यहां की खानों से ब्लॉक निकालकर बयाना भेजे जाते हैं और वहां रफ माल की कटिंग होने के बाद अयोध्या रवाना किया जाता है। पत्थर भेजने के लिए विहिप ने कई ट्रोले स्थाई रूप से किराये पर ले रखे हैं।

सतीश भारद्वाज का कहना है कि पहले मंदिर दो तल का बनना था,लेकिन अब तीन मंजिल का बनाने का निर्णय लिया गया है,उसी हिसाब से पत्थर भेजा जा रहा है।

राम शिला पूजन यहीं बंशी पहाड़पुर में बनी ईंटों से हुआ था

बंशी पहाड़पुर के पत्थर से मंदिर के भूतल में लगने वाले 106 खंभे अब तक तैयार हुए हैं,इनकी ऊंचाई 16 फीट है। इसके अलावा सिंहद्वार, रंग मंडल, नृत्य मंडप, गर्भगृह और परिक्रमा मार्ग के लिए पत्थर तराशा जा चुका है। मंदिर के छज्जे व झरोखों के लिए पत्थर तराशा जा चुका है। परिक्रमा मार्ग 10 फीट चौड़ा रहेगा। दीवार 6 फीट मोटी होगी । चौखट में संगमरमर और सजावत के लिए अन्य पत्थर का इस्तेमाल होगा।

विहिप पदाधिकारियों का कहना है कि साल 1990 में अयोध्या आंदोलन के दौरान भी बंशी पहाड़पुर काफी चर्चा में रहा था, क्योंकि राम शिला पूजन के लिए ''श्री राम'' लिखी विशेष प्रकार की ईंटों का निर्माण भी यहीं से कराया गया था सिरोही जिले के पिंडवाड़ा में भी मंदिर के 192 पिलर व दीवार के लिए पत्थर तराशने का काम किया गया है। यहां करीब 7 साल से करीगर पत्थर तराशने का काम कर रहे हैं। 


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