फिल्म "पद्मावती" को लेकर राजपूत समाज ने कहा- नहीं होने देंगे फिल्म का प्रदर्शन
राजपूत समाज ने कई दिनों तक विभिन्न शहरों में प्रदर्शन भी किया था,बाद में भंसाली द्वारा कुछ दृश्य हटाए जाने के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ था ।
जयपुर, [जागरण संवाददाता]। फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की फिल्म "पद्ममावती " को लेकर राजस्थान का राजपूत समाज एक बार फिर सक्रिय हो गया। राजपूत समाज ने चेतावनी दी है कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत किया गया तो इस फिल्म की स्क्रीनिंग का विरोध किया जाएगा।
श्री राजपूत करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्र सिंह कालवी एवं राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर फिल्म में विकृत तथ्यों को दिखाए जाने की अनुमति नहीं देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे की फिल्म देश के आधे हिस्से में प्रदर्शित ना हो सके।
उन्होंने कहा कि भंसाली ने फिल्म में रानी पद्मावती को अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बताया है,यह पूरी तरह से गलत है। मीड़िया से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह किसी भी इतिहास में नहीं लिखा कि 13वीं और 14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के शासक अलाउद्दीन खिलजी को रानी पद्मावती से प्यार हुआ था या फिर वह उनका प्रेमी था। उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत करके पद्मावती को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं,राजपूत समाज यह स्वीकार नहीं करेगा।
कालवी ने कहा कि संजय लीला भंसाली ने वादा किया था कि रिलीज होने से पहले फिल्म राजपूत समाज के नेताओं को दिखाई जाएगी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि करीब 20 दिन पूर्व भंसाली की कम्पनी से किसी का उनके पास फोन आया था और हमें फिल्म देखने के लिए बुलाया गया। लेकिन हमने फिल्म इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों को दिखाने की बात कही। इसके बाद भंसाली की कम्पनी ने कोई सम्पर्क नहीं किया। राजपूत समाज के नेताओं का बयान फिल्म र्फस्ट लुक की रलीज के बाद आया है। इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने चित्तोड़ की रानी पद्मावती और रणवीर सिंह ने अल्लादद्दीन खिलजी का किरदार निभाया है ।
उल्लेखनीय है कि फिल्म के निर्माण के समय जयपुर के आमेर महल में श्री राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने फिल्म पद्मावती के सैट पर तोड़फोड़ करने के साथ ही संजय लीला भंसाली एवं उनके साथियो के साथ मारपीट की थी। इसके बाद चित्तोड़ महल के उन काचों को भी तोड़ दिया गया था जिनके बारे में गाइड पर्यटकों यह बताते है कि अल्लाउद्दीन खिलजी को रानी पद्मावती का चेहरा दिखाने के लिए ये कांच लगाए गए थे। इन कांचों में से ही उसने पद्मावती को देखा था। राजपूत समाज ने कई दिनों तक विभिन्न शहरों में प्रदर्शन भी किया था,बाद में भंसाली द्वारा कुछ दृश्य हटाए जाने के आश्वासन के बाद आंदोलन समाप्त हुआ था ।
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