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राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण की हो रही अनदेखी, जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण लुप्त प्राय पक्षी है। इसके संरक्षण के लिए सरकारी स्तर पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन गोडावण को बचाने के प्रयास विफल होते जा रहे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 10:29 AM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 10:29 AM (IST)
राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण की हो रही अनदेखी, जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण की हो रही अनदेखी, जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण लुप्त प्राय पक्षी है। इसके संरक्षण के लिए सरकारी स्तर पर अब तक करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन गोडावण को बचाने के प्रयास विफल होते जा रहे हैं। गोडावण की वास्तविक संख्या कितनी है इस बात की जानकारी वन विभाग के अफसरों को भी नहीं है।

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हालांकि तीन साल पहले वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने इसकी गणना की थी, लेकिन गणना के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया। वर्तमान में कितने गोडावण है। यह बात गोडावण संरक्षण में लगे जिम्मेदारों को भी पता नहीं है। वन्यजीव व पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार गोडावण की गणना साल में दो बार होनी चाहिए, लेकिन प्रदेश में तीन साल होने जा रहे हैं और गणना ही नहीं की गई।

जानकारी के अनुसार मार्च,2017 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून की ओर से गोडावण की गणना की गई थी। उसके बाद अाज तक गणना नहीं हुई है। इस बार भी गणना को लेकर अधिकारिक रूप से अफसर बोलने को तैयार नहीं है।

सूत्रों के अनुसार वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की ओर से इस बार भी गणना नहीं की जाएगी। एक तरफ गोडावण संरक्षण को लेकर जोर शोर से प्रयास करने की बात की जा रही है तो दूसरी तरफ गणना को लेकर जिम्मेदार पीछे हट रहे हैं।

वन्यजीव व पक्षियों के संरक्षण के लिए काम करने वाले बाबूलाल जाजू का कहना है कि गोडावण संरक्षण के प्रयास देश-विदेश के विशेषज्ञ भी कर रहे हैं। करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए हैं। लेकिन अभी तक जानकार गोडावण की संख्या को लेकर भी साफ नहीं है। इसके आंकड़ों के मकड़जाल में फंसे हुए हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की गणना में स्पष्ट संख्या नहीं बताई जाती है। जब तक संख्या को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होगी तब तक बेहतर तरीके से संरक्षण के प्रयास नहीं हो सकेंगे। 


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