Rajasthan Politics: ब्यूरोक्रेसी के गले की फांस बन रहा भाजपा सांसदों से टकराव
ब्यूरोक्रेसी के गले की फांस बन रहा भाजपा सांसदों से टकराव संसदीय समिति के समक्ष कल उपस्थित होंगे अफसर
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी के लिए भाजपा सांसदों व विधायकों से टकराव गले की फांस बन गया है। अफसरों द्वारा प्रोटोकॉल की अवहेलना किये से नाराज भाजपा के सांसद जिला कलक्टर्स से लेकर से लेकर पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। भाजपा सांसदों का आरोप है कि ब्यूरोक्रेसी सत्तारूढ़ दल कांग्रेस के इशारे पर काम करते हुए अपनी मनमानी कर रही है। यही आरोप भाजपा विधायक लगा रहे हैं।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष एवं सांसद हनुमान बेनीवाल अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का मुद्दा संसद की विशेषाधिकार समिति तक लेकर पहुंच गए हैं। पिछले साल बेनीवाल के काफिले पर हुए हमले के मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने को लेकर 8 सितंबर को संसदीय समिति सुनवाई करेगी। समिति ने तत्कालीन मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता, मौजूदा मुख्य सचिव राजीव स्वरूप और पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव को तलब किया है। इससे पहले भी समिति इन अधिकारियों को एक बार तलब कर चुकी है। इन अधिकारियों ने हमले के आरोपितों की शीघ्र गिरफ्तारी का आश्वासन समिति को दिया था, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर के अधिकारियों द्वारा उनका फोन नहीं उठाने की बात कह चुके हैं। पाली के सांसद पी.पी चौधरी ने सीधे तौर पर मुख्य सचिव राजीव राजीव स्वरूप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपने निर्वाचन क्षेत्र में आयोजित होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में खुद को नहीं बुलाए जाने से नाराज चौधरी ने भी मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति के समक्ष ले जाने की चेतावनी दी है। राज्यसभा सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और चित्तोडगढ़ के सांसद सी. पी. जोशी भी अफसरों के व्यवहार पर नाराजगी जता चुके हैं। भाजपा विधायक मदन दिलावर का कहना है कि ब्यूरोक्रेसी को अशोक गहलोत सरकार ने बीजेपी के जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं करने के निर्देश दे रखे हैं।
सांसदों की नाराजगी के कारण
भाजपा सांसदों का कहना है कि भारतीय प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा के अधिकारियों से लेकर नीचे तक के अफसर फोन रिसीव नहीं करते हैं। अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते। उनके साथ दोयम दर्जे का बर्ताव करते हैं। सरकारी शिलान्यास-उद्घाटन समारोह में छपने वाले बैनर पोस्टर और शिलालेखों से सांसदों के नाम गायब कर देते हैं। शिलान्यास पट्टिका से वरीयता क्रम में सांसदों का नाम नीचे लिख दिया जाता है। सरकारी विज्ञापनों में सांसदों के फोटो नहीं छापे जा रहे।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की स्पष्ट गाइड लाइन है कि प्रोटोकॉल के अनुसार ही सांसदों को जगह मिलनी चाहिए,लेकिन इसकी पालना नहीं हो रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सरकार बदलते ही ब्यूरोक्रेसी को भी बदलने की पुरानी रवायत रही है। ब्यूरोक्रेसी पर सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर काम करने के आरोप लगते रहे हैं। पिछली भाजपा सरकार के समय में भी ब्यूरोक्रेसी पर आरोप लगे थे। अब कांग्रेस सरकार के समय में भी ब्यूरोक्रेसी पर यही आरोप लग रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश लोकसभा की 25 में से 24 सीटों पर भाजपा के सांसद हैं । वहीं नागौर में भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल सांसद हैं ।