Rajasthan Political Crisis: अयोग्यता नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा पायलट खेमा, कोर्ट ने मामला डबल बेंच को भेजा
राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच सचिन पायलट का खेमा विधायकों की सदस्यता रद करने को लेकर जारी नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया है। सुनवाई कल तक के लिए टल गई है।
जयपुर, एएनआइ। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच सचिन पायलट का खेमा विधायकों की सदस्यता रद करने को लेकर जारी नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया है। मामले की सुनवाई कल तक के लिए टल गई है। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार पायलट समर्थक विधायक पृथ्वीराज मीणा ने विधायकों को अयोग्य ठहराने को लेकर राज्य विधानसभा के स्पीकर द्वारा जारी नोटिस को चुनौती दी है। मामले को लेकर कोर्ट में हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी उनका प्रतिनिधित्व किया। स्पीकर का प्रतिनिधित्व अभिषेक मनु सिंघवी ने किया।
वकील हरीश साल्वे ने कहा कि स्पीकर के इस नोटिस को रद्द किया जाए और अवैधानिक घोषित किया जाए। साल्वे ने कहा कि सदन से बाहर हुई कार्यवाही के लिए स्पीकर (विधानसभा अध्यक्ष) नोटिस जारी नहीं कर सकते हैं। नोटिस की कोई संवैधानिक वैधता नहीं है। इस नोटिस को तुरंत रद्द किया जाए और अवैधानिक घोषित किया जाए। हरीश साल्वे का कहना है कि असंतुष्ट विधायक राजस्थान अध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिसों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं। साल्वे का कहना है कि याचिकाकर्ता संविधान की दसवीं अनुसूची में निहित दलबदल विरोधी कानून को चुनौती देंगे।
इस मामले में हरीश साल्वे की ओर से पहले नोटिस को स्थगित करने की बात कही गई, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद साल्वे ने कोर्ट से इस मामले में समय मांगा गया है। लिहाजा आगे की सुनवाई कल तक की जा सकती है। अगली सुनवाई खंडपीठ करेंगी, जिसके लिए बेंच का गठन सीजे तय करेंगे।
गौरतलब है कि सोमवार और मंगलवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पायलट और उनके खेमे के 19 विधायक शामिल नहीं हुए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पायलट को उपमुख्यमंत्री पद और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया। यही नहीं, पार्टी ने इनको विधानसभा से अयोग्य घोषित करने की भी तैयारी शुरू कर दी। इसे लेकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीपी जोशी ने पायलट सहित उनके खेमे के 19 विधायकों को नोटिस जारी किया। पायलट खेमे को शुक्रवार तक इस नोटिस का जवाब देना है।
वकील हरीश साल्वे का कहना है कि असंतुष्ट विधायक राजस्थान अध्यक्ष द्वारा जारी अयोग्यता नोटिसों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना चाहते हैं। साल्वे का कहना है कि याचिकाकर्ता संविधान की दसवीं अनुसूची में निहित दलबदल विरोधी कानून को चुनौती देंगे।
क्या है मामला
बता दें कि मंगलवार देर रात राजस्थान सरकार के चीफ व्हिप डॉ.महेश जोशी ने इसे लेकर मेल से एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि पायलट व उनके समर्थक विधायकों ने लगातार दो दिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल न होकर व्हिप का उल्लंघन किया है। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने मामले का तुरंत संज्ञान लेते हुए रात में ही विधानसभा खुलवाकर सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को नोटिस जारी कर दिए। यही नहीं गजेंद्र सिंह शक्तावत व रामनिवास गावड़िया के परिजनों ने नोटिस लेने से इनकार किया, तो उनके घर के बाहर नोटिस चिपका दिया गया।
नोटिस की वैधानिकता पर सवाल
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जज पानाचंद जैन ने पूरी कार्रवाई को गलत बताया। उनके अनुसार इस तरह के नोटिस की कोई वैधानिकता नहीं है। उनका कहना है कि विधानसभा के बाहर व्हिप जारी नहीं किया जा सकता। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मामले में विवेकपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया। उन्होंने विधायकों के घरों के बाहर नोटिस चिपकाने के तरीके को भी गलत बताया।
इन विधायकों को नोटिस
सदस्यता रद करने को लेकर जिन विधायकों को नोटिस जारी किया गया है उनमें सचिन पायलट के अलावा विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, भंवरलाल शर्मा, हेमाराम चौधरी, गजेंद्र सिंह शक्तावत, दीपेंद्र सिंह शेखावत, रामनिवास गावड़िया, इंद्रराज गुर्जर, मुरारीलाल मीणा, गजराज खटाणा, पीआर मीणा, राकेश पारीक, वेद प्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, मुकेश भाकर, हरीश मीणा, बृजेंद्र ओला व अमर सिंह शामिल हैं।
विधायकों की सदस्ता जाने से विधानसभा के समीकरण में होगा बदलाव
अगर 19 विधायकों की सदन की सदस्यता खत्म हो जाए तो विधानसभा में समीकरण बदल जाएंगे। जानकारों के अनुसार 200 सदस्यों वाली विधानसभा में 19 विधायकों की प्राथमिक सदस्यता खत्म होने पर सदन में 181 सदस्य रह जाएंगे। कांग्रेस के पास फिलहाल 107 विधायक हैं। इनमें से 19 विधायकों की संख्या कम होने पर यह संख्या 88 हो जाएगी। वहीं विधानसभा में 181 सदस्य होंगे, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 92 होगा। इस स्थिति में कांग्रेस के पास 88 सदस्य रह जाएंगे। उसे चार अन्य सदस्यों समर्थन की जरूरत होगी। कांग्रेस का दावा है कि 10 निर्दलीय विधायकों के साथ उसे दो माकपा व दो भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के विधायकों का समर्थन प्राप्त है। अगर इन्हें जोड़ ले तो कांग्रेस के पास 102 की संख्या होगी।