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राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष कटारिया बोले, मुख्यमंत्री रोजाना प्रधानमंत्री को कोसना बंद करें और जनता हित पर ध्यान दें

राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि महामारी के दौर में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रोजाना सुबह उठने के बाद प्रधानमंत्री को कोसने लगते हैं। इसकी बजाय वह कोरोना महामारी से जनता को बचाने के लिए जनहित में ध्यान दें तो बेहतर होगा।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 05:40 PM (IST)
राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष कटारिया बोले, मुख्यमंत्री रोजाना प्रधानमंत्री को कोसना बंद करें और जनता हित पर ध्यान दें
राजस्थान में विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया

उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि महामारी के दौर में राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रोजाना सुबह उठने के बाद प्रधानमंत्री को कोसने लगते हैं। इसकी बजाय वह कोरोना महामारी से जनता को बचाने के लिए जनहित में ध्यान दें तो बेहतर होगा। कटारिया शनिवार को चुनिंदा पत्रकारों से आॅनलाइन वार्ता कर रहे थे। 

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कटारिया ने कहा कि भाजपा ने तय किया था कि कोरोना महामारी के दौरान हमने राज्य सरकार को आश्वासन दिया था कि हम सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करेंगे। किन्तु दुर्भाग्य है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री रोज सवेरे उठकर केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है। उनसे मेरी प्रार्थना है कि वह कोविड महामारी से बचाव से जनता को बचाने में अपना ध्यान लगाएं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के उस बयान की निंदा करते हुए कहा, जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य का लॉयन आॅर्डर बिगड़ा तो इसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की होगी। 

पीएम से वार्ता में किए वादे से मुकर रहे गहलोत 

कटारिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्रियों से बात की थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि 45 वर्ष और इससे अधिक उम्र के लोगों को कोरोना से बचाव की वैक्सीन का खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी। तब मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि अठारह से 44 वर्ष तक के लोगों को लगाए जाने वाली वैक्सीन का खर्चा राज्य सरकार वहन करेगी। केंद्र से मिली एक करोड़ 70 लाख वैक्सीन को सबसे पहले लगाकर राज्य सरकार ने वाहवाही लूटी लेकिन अठारह से 44 वर्ष तक के लोगों को वैक्सीन लगाने में फिसड्डी साबित हो रही है। अब केंद्र से इसका खर्चा उठाने के लिए रोज केंद्र पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हैं, जो आपत्तिजनक है। 

राज्य को 270 की जगह 453 मैट्रिक टन आक्सीजन मिल रही 

कटारिया ने कहा कि राज्य में आॅक्सीजन की कमी को लेकर रोजाना केंद्र के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की बयानवाजी जारी है। जब महाराष्ट्र में फरवरी में स्थिति बिगड़ी तो राज्य सरकार उंघ रही थी। आॅक्सीजन की कमी पर केंद्र पर निशाना साधने लगी। दस मई से केंद्र सरकार 270 की जगह 453 मैट्रिक टन आॅक्सीजन की सप्लाई कर रही है। हवाई मार्ग तथा रेल मार्ग से लगातार आॅक्सीजन आ रही है। 

कालाबाजारी पर अंकुश लगाने में फैल राज्य सरकार 

कटारिया ने कहा कि कोरोना से बचाव में उपयोग लिए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन तथा अन्य दवाइयों की कालाबाजारी प्रदेश में जमकर हुई और हो रही है। इस पर अंकुश लगाने में राज्य सरकार पूरी तरह विफल रही है। देश में जहां पहले तीस लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन बनते थे और अब इनकी संख्या केंद्र के सहयोग के बाद एक करोड तीन लाख पहुंच गई। राज्य सरकार ने जो कदम अब उठाए हैं, वह पहले उठाती तो इंजेक्शन तथा दवाइयों की मारामारी नहीं होती। अब जो कदम उठाए गए हैं, उससे कालाबाजारी रूकी है। हालांकि अभी भी यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि मरीज के नाम से जो इंजेक्शन खरीदे जा रहे हैं, वह उन्हें लगाए जा रहे हैं या दूसरों से पैसे लेकर लगाए जा रहे हैं। 

गांवों में वैक्सीनेशन बढ़ाए जाने की जरूरत 

कटारिया ने कहा कि शहरों में वैक्सीनेशन की जितनी रफ्तार है उसका दस फीसदी गांवों में नहीं। जबकि जरूरत गांवों में वैक्सीनेशन बढ़ाए जाने की है। उन्होंने कहा कि गांवों में एक ही मकान में समूचा परिवार रहता है। उनके पास क्वारेटाइन होने के लिए जगह नहीं। उन्होंने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि गांवों के सामुदायिक केंद्रों को क्वारेनटाइन भवन बना दिया जाना चाहिए। वहां वैक्सीनेशन बढ़ानी होगी। उनके लिए आॅफलाइन की व्यवस्था करनी चाहिए। चिरंजीवी योजना से लोगों का उपचार कई निजी अस्पतालों में नहीं हो रहा, इसको लेकर राज्य सरकार को बताया गया है।  

पीएम केयर फंड के वेंटीलेटर उपयोग में नहीं लिए तो खराब कैसे 

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पीएम केयर फंड से जो वेंटीलेटर खरीदे गए, उन्हें अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है तो वह खराब कैसे बता दिए गए। देश में पैंतालीस हजार वैंटीलेटर दिए गए हैं, लेकिन शिकायत केवल राजस्थान से की जा रही है। उदयपुर के अस्पताल को 95 वेंटीलेटर मिले, जिनमें से 71 अभी भी पैक हैंं। उन्होंने कहा कि कुछ वेटींलेटर्स खराब भी हो गए तो उनकी मरम्मत करानी चाहिए। केवल चिट्ठी लिखने से वह उपयोगी नहीं बन जाते। 


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