Move to Jagran APP

Rajasthan News: पृथ्वी पर पहला वट वृक्ष लेकर आई थीं माता पिपलाज, पाकिस्तान से भी है नाता, पढ़िये पूरी कहानी

Rajasthan News राजसमन्द जिले के खमनोर क्षेत्र में पिपलाज माता का भव्य चमत्कारी मंदिर है। जिसे स्थानीय लोग वडल्या माता भी कहते हैं। इस मंदिर से लगभग एक किलोमीटर दूर वडल्या हिन्दवा माता का भी मंदिर है जो पिपलाज माता का ही रूप है।

By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariPublished: Tue, 04 Oct 2022 04:26 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 04:26 PM (IST)
Rajasthan News: पृथ्वी पर पहला वट वृक्ष लेकर आई थीं माता पिपलाज, पाकिस्तान से भी है नाता, पढ़िये पूरी कहानी
Rajasthan News: राजसमंद में पिपलाज माता का मंदिर, बरगद की गोद में बैठी है माता

उदयपुर [सुभाष शर्मा]। Rajasthan News: आज नवरात्रि का अंतिम दिन है और देश भर में देवी मां की पूजा का दौर जारी है। पाकिस्तान में माता हिंगलाज माता की पूजा वहां रहने वाले हिन्दू परिवार करते हैं। जनश्रुतियों और दंत कथाओं के मुताबिक हिन्गलाज माता उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले के उनवास गांव स्थित पिपलाज माता का ही दूसरा रूप है और वह यहीं से पाकिस्तान गई थी।

loksabha election banner

राजसमन्द जिले के खमनोर क्षेत्र में पिपलाज माता का भव्य चमत्कारी मंदिर है। जिसे स्थानीय लोग वडल्या माता भी कहते हैं। इस मंदिर से लगभग एक किलोमीटर दूर वडल्या हिन्दवा माता का भी मंदिर है, जो पिपलाज माता का ही रूप है। मेवाड़ के लोक नृत्य गवरी में भी पिपलाज माता और वड़ल्या हिंदवा माता का प्रसंग मिलता है।

कथाओं में प्रसंग पिपलाज माता से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी मिलती हैं। जिनके मुताबिक जब पृथ्वी पर भयानक अकाल पड़ा तो पिपलाज माता ने पाताल के राजा वासु से युद्ध किया और उसे परास्त करने के बाद वह राजा वासु के उद्यान से वट यानी बरगद का पहला वृक्ष पृथ्वी लोक पर लेकर आई।

जिसे उनवास की पहाड़ी पर रोपा था, जहां सैकड़ों साल पुराना वडल्या हिन्दवा माता का मंदिर है। मान्यता है कि यहां लगा वट वृक्ष पृथ्वी का वह पहला बरगद है, जिसे माता लेकर आई थीं। यह वृक्ष जिंदा रहे, इसके लिए इसे दूध और दही से सींचा गया था।

यह भी पढ़ें- Arvind Kejriwal: सीएम अरविंद केजरीवाल ने किया ट्वीट, लिखा- गुजरात में सरकार बनी तो 1 मार्च से बिजली फ्री, जानें और क्या कहा

कथाओं में जिक्र नौ देवियां यहां झूलती थीं

पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि जिस वट वृक्ष को देवी पिपलाज लाई थी, उसी पेड़ पर नौ देवियां झूला झूलती थीं। उनवास के बाशिन्दे बताते हैं कि माता पिपलाज का मंदिर 11 वीं सदी से पहले का है। इस मंदिर पर लगे शिलालेख से पता चलता है कि विक्रत संवत 1016 में मेवाड़ के तात्कालिक शासक आलू अल्लट ने इस मंदिर का जीर्णाेद्वार कराया था।

नवरात्रि में माताजी की है होती है पूजा.अर्चना

वट वृक्ष की कोठर में स्थापित वड़ल्या हिंदवा माताजी पर नवरात्रि में विशेष पूजा-अर्चना होती है। यहां आसपास के ही नहीं, बल्कि दूरदराज के भक्त भी माता के दर्शन के लिए आते हैं। जनश्रुति और दंत कथाओं का हवाला देते हुए यहां के लोग बताते हैं कि यहीं से हिंगलाज माता गई थी, जो अब पाकिस्तान में हैं। हिंगलाज माता के दर्शन भारत में रहकर करने हैं तो उन्हें यहां पिपलाज माता की शरण में आना होगा।

Manish Sisodia: डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा- अगर BJP वाले गांधी जी और शास्त्री जी के दिखाए रास्ते पर चलते तो अच्छा होता


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.