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Rajasthan Local Body Elections 2019: प्रचार खत्म, भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

Rajasthan Local Body Elections 2019. निकाय चुनाव में राजस्थान सरकार के कई मंत्रियों और भाजपा के कई बडे नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 05:36 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 05:36 PM (IST)
Rajasthan Local Body Elections 2019: प्रचार खत्म, भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
Rajasthan Local Body Elections 2019: प्रचार खत्म, भाजपा व कांग्रेस के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

जयपुर, जेएनएन। Rajasthan Local Body Elections 2019. राजस्थान में 49 नगरीय निकायों के लिए चल रहा चुनाव प्रचार गुरुवार शाम पांच बजे समाप्त हो गया। अब 16 जून को मतदान होगा और इन नगरीय निकायों की स्थानीय सरकार चुनी जाएगी। इस चुनाव में राजस्थान सरकार के कई मंत्रियों और भाजपा के कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, क्योंकि कई निकाय ऐसे हैं, जो इन नेताओं के निर्वाचन क्षेत्र भी हैं।

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राजस्थान में नगरीय निकाय चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया का काम गत नौ नवंबर को खत्म हो गया था। प्रचार का हल्ला हालांकि पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन नौ नवंबर के बाद इसमें तेजी आई। सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं ने निकायों में जाकर सभाएं और बैठकें कीं। इस बार हो रहे चुनाव में हालांकि जयपुर, जोधपुर, कोटा और अजमेर जैसे बड़े शहर शामिल नहीं हैं, इसलिए पूरे प्रदेश में चुनाव का जैसा माहौैल बनना चाहिए था, वह नजर नहीं आया, लेकिन संबंधित निकायों में प्रत्याशियों ने पोस्टर, बैनर, छोटी सभाओं और सोशल मीडिया के जरिए काफी प्रचार किया। कांग्रेस की ओर से प्रचार की कमान मुख्य तौर पर संबंधित मंत्रियों ने ही संभाले रखी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ज्यादा स्थानों पर नहीं गए, वहीं भाजपा की ओर से नए बनाए गए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भरतपुर, बीकानेर, सीकर सहित सभी प्रमुख जिलों और निकायों का दौरा किया और पार्टी के पक्ष में प्रचार भी किया। उनके अलावा पार्टी के स्थानीय विधायक और प्रदेश स्तर के अन्य नेता जिन्हें प्रभारी बनाया गया था, वे भी प्रचार में सक्रिय नजर आए। प्रचार समाप्त होने के बाद अब प्रत्याशी घर-घर प्रचार करेंगे और 16 नवंबर को मतदान कराएंगे।

कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

राजस्थान में हाल में हुए दो विधानसभा सीटों में मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद अब एक और बड़ा चुनाव हो रहा है। चूंकि ज्यादा बड़े शहर शामिल नहीं हैं, इसलिए सीधे सरकार के कामकाज पर मुहर तो नहीं मानी जा सकती, लेकिन इस चुनाव के परिणाम से दोनों पार्टियों के कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। मुख्यमंत्री होने के नाते अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते सचिन पायलट की प्रतिष्ठा तो दांव पर है ही, पायलट के तो निर्वाचन क्षेत्र टोंक में ही चुनाव भी है। उनके साथ सरकार के कई बड़े मंत्रियों को भी इस चुनाव में खुद को साबित करना पड़ेगा।

जिन प्रमुख मंत्रियों को अपनी पकड़ साबित करनी है, उनमें जल और बिजली मंत्री बीडी कल्ला, पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग, राजस्व मत्री हरीश चैधरी, श्रम मंत्री टीकाराम जूली, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सालेह मोहम्मद, शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और खान मंत्री प्रमोद जैन भाया शामिल हैं। ये उन्हीं क्षेत्रों या जिलों से आते हैं, जहां इस बार चुनाव होने जा रहे हैं। इन मंत्रियो की परीक्षा इसलिए भी कड़ी है कि शहरों में भाजपा का वर्चस्व माना जाता है और इनमें से ज्यादातर जगह पिछली बार भाजपा का बोर्ड था।

वहीं, प्रतिपक्ष भाजपा के नेताओं की बात करें तो प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के लिए उपचुनाव का परिणाम खासा उत्साहवर्धक नहीं रहा। ऐसे में अब उन्हें निकाय चुनाव में जीत हासिल कर खुद की नियुक्ति को सही साबित करना होगा। अभी हालांकि वे पुरानी टीम के साथ ही काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव से दूर रही हैं। ऐसे में लगभग पूरी जिम्मेदारी उन पर ही है।

अन्य नेताओं की बात करें तो नेता प्रतिपक्ष उदयपुर के गुलाब चंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष चूरू के राजेन्द्र राठौड दोनों के जिलों में चुनाव हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, पूर्व मंत्री श्रीचंद्र कृपलानी, सांसद निहाल चंद मेघवाल, केंद्रीय मंत्री कैलाश चैधरी, पूर्व मंत्री युनूस खान, विधायक ज्ञानचंद पारख भी वे प्रमुख नेता हैं, जिन्हें इस चुनाव में अपने क्षेत्रों में अपनी पकड़ साबित करनी होगी। 

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