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Doctors Protests: राजस्थान में निजी अस्पतालों की हड़ताल के कारण चरमराई चिकित्सा व्यवस्था, टाले गए कई ऑपरेशन

Doctors Protests स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के विरोध में राजस्थान के निजी अस्पताल मालिक और चिकित्सक बुधवार को लगातार तीसरे दिन हड़ताल पर रहे। निजी अस्पतालों के चिकित्सक एवं रेजिडेंट्स कुल मिलाकर छह हजार हड़ताल पर हैं। File Photo

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Wed, 22 Mar 2023 10:52 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2023 10:52 PM (IST)
Doctors Protests: राजस्थान में निजी अस्पतालों की हड़ताल के कारण चरमराई चिकित्सा व्यवस्था, टाले गए कई ऑपरेशन
राजस्थान में निजी अस्पतालों की हड़ताल के कारण चरमराई चिकित्सा व्यवस्था।

जागरण संवाददाता, जयपुर। स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के विरोध में राजस्थान के निजी अस्पताल मालिक और चिकित्सक बुधवार को लगातार तीसरे दिन हड़ताल पर रहे। निजी अस्पतालों के चिकित्सक एवं रेजिडेंट्स कुल मिलाकर छह हजार हड़ताल पर हैं।

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सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी दो घंटे काम का बहिष्कार कर रखा है। चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने से अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ा गई है। ऑपरेशन टाले जा रहे हैं। मरीज उपचार के लिए परेशान हो रहे हैं। अस्पतालों के आउटडोर में मरीजों को देखने के लिए चिकित्सक नहीं है। काफी कम संख्या में चिकित्सक हैं, जिन्हे दिखाने के लिए मरीजों की लंबी कतारें लग रही है।

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सकों को मरीज देखने का जिम्मा सौंपा गया है। उदयपुर के एमबी हॉस्पिटल में चार सौ रेजिडेंट्स चिकित्सक हड़ताल पर है। हड़ताल के कारण 80 से ज्यादा ऑपरेशन टालने पड़े।

चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि गरीब का इलाज नहीं करने पर कोई कितना भी बड़ा हो, हम कार्रवाई करेंगे। चिकित्सक सरकार को डराने की कोशिश न करें। चिकित्सक आंदोलन करें। आंदोलन करने से कौन मना करता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों का पहला धर्म मरीज का उपचार करना होता है। उन्हे अपना धर्म निभाना चाहिए।

उधर, भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार चिकित्सकों से बात नहीं करना चाहती है। पुलिस ने चिकित्सकों पर लाठीचार्ज किया, जो गलत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी अस्पतालों में 22 हजार आईसीयू बेड है, जिनमें से 15 हजार खाली हैं।

क्या है विधेयक में प्राविधान

मंगलवार को विधानसभा में पारित विधेयक में प्रावधान है कि प्रत्येक नागरिक को आपातकालीन चिकित्सा सेवा बिना किसी पूर्व भुगतान के मिलेगी। सभी सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हेल्थ केयर सर्विस प्रत्येक व्यक्ति को नि:शुल्क मिलेगी। इसमें सभी प्रकार की ओपीडी, चिकित्सकों की सलाह, दवाइयां, जांच, आपातकालीन स्थिति में एंबुलेंस भी शामिल है।

सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को निर्धारित नियमानुसार नि:शुल्क एंबुलेंस, इलाज और बीमा का अधिकार होगा। जिला एवं प्रदेश स्तर पर प्राधिकरण गठित होंगे। प्राधिकरण में निजी अस्पतालों एवं चिकित्सकों की शिकायत हो सकेगी। इन पर दस से लेकर 25 हजार तक जुर्माना हो सकेगा।

इसके साथ ही प्राधिकरण के फैसले को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। किसी पुरुष चिकित्सक की ओर से किसी महिला रोगी के शारीरिक परीक्षण के दौरान अन्य महिला की उपस्थिति का अधिकार होगा। साथ ही किसी उपचार या निर्धारित जांचों के लिए पहले से सहमति देनी होगी। इसके साथ ही किसी अन्य चिकित्सा संस्थान में वैकल्पिक उपचार के चयन करने का अधिकार भी मरीज को होगा।


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