Rajasthan: बुजुर्ग की मेडिक्लेम पॉलिसी बंद करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
Rajasthan High Court. बुजुर्ग की मेडिक्लेम पाॅलिसी बंद करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है।
जयपुर, जेएनएन। Rajasthan High Court. राजस्थान के जयपुर के एक 75 वर्षीय बुजुर्ग की 24 वर्ष से लगातार चल रही मेडिक्लेम पाॅलिसी अचानक बंद करने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस और भारतीय बीमा विनियामक व विकास प्राधिकरण (इरडा) से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल ने अपने अंतरिम आदेश में याचिकाकर्ता की पाॅलिसी बंद करने के नोटिस पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
याचिकाकर्ता मोहन लाल ने 1995 में यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस से पर्सनल मेडिक्लेम की पाॅलिसी ली थी और पिछले 24 वर्ष से वे लगातार यह पाॅलिसी चला रहे थे। उन्होंने पिछले वर्ष 22 मार्च को ही 21 मार्च 2020 तक के लिए पाॅलिसी का नवीनीकरण भी कराया था, लेकिन कंपनी ने हाल में एक मार्च से इस पाॅलिसी का अगले वर्ष के लिए नवीनीकरण करने से मना कर दिया और कहा कि कंपनी ने व्यक्तिगत मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी बंद कर दी है। कंपनी ने याचिकाकर्ता को इसके स्थान पर व्यक्तिगत हेल्थ इंश्योरेंस या फैमिली पॉलिसी लेने की सलाह दी।
याचिकाकर्ता ने कंपनी के बताई दोनों नई पॉलिसियों का अध्ययन किया तो सामने आया कि नई पाॅलिसी में लाभ कम कर दिए गए है और प्रीमियम दो गुना तक बढ़ा दिया गया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि कंपनी का व्यक्तिगत मेडिक्लेम बीमा पॉलिसी को बंद करना जनरल इंश्योरेंस राष्ट्रीयकरण कानून-1972 की प्रस्तावना के विपरीत, असंविधानिक,गैर-कानूनी और मनमाना है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के नियमों के अनुसार भी कोई बीमा कंपनी किसी बीमा पॉलिसी प्रोडक्ट को अचानक बंद करके बीमा धारक को अन्य बीमा पॉलिसी लेने को बाध्य नहीं कर सकती।
इरडा के नियमों के अनुसार, बीमा कंपनी बदली या दूसरी पॉलिसी ली जा सकती है,लेकिन यह अधिकार भी केवल बीमाधारक को है, ना कि बीमा कंपनी को। इस बारे में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णयों को भी कोट किया है। याचिकाकर्ता की याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कंपनी के नोटिस को अगले आदेश तक रोक दिया है और कंपनी व इरडा से जवाब तलब किया है।