Move to Jagran APP

Rajasthan: पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास मामले में राजस्थान सरकार को नोटिस

Rajasthan याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस नहीं ली है और ना ही उनके आवास खाली कराए गए हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:31 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 02:54 PM (IST)
Rajasthan: पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास मामले में राजस्थान सरकार को नोटिस
Rajasthan: पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास मामले में राजस्थान सरकार को नोटिस

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान हाइकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित अन्य सुविधाएं देने के मामले में राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और राजस्थान सरकार को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार और न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की खंडपीठ ने यह नोटिस जारी किए है।

loksabha election banner

राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ समय पहले अपने आदेश के जरिए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास और कैबिनेट मंत्रियों के समान सुविधाएं देने वाले कानून को रद कर दिया था। यह आदेश लागू नहीं किए जाने पर मूल याचिकाकर्ता मिलाप चंद डंडिया ने अवमानना याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विमल चैधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि हाइकोर्ट ने गत चार सितंबर को आदेश जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला और अन्य सुविधाएं देने को गलत माना था। इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में राजस्थान मंत्री वेतन संशोधन अधिनियम, 2017 की धारा 7 बीबी और धारा 11(2) को रद्द कर दिया था।

अदालत ने अपने आदेश में माना था कि लोकतंत्र में पूर्व मुख्यमंत्री और आमजन समान है। ऐसे में उन्हें आजीवन कोई सुविधाएं नहीं दी जा सकती। याचिका में कहा गया कि अदालती आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस नहीं ली है और ना ही उनके आवास खाली कराए गए हैं। खंडपीठ के इस आदेश की राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील भी पेश नहीं की है। ऐसे में हाइकोर्ट का चार सितंबर का आदेश अंतिम आदेश हो गया है। इसलिए अदालती आदेश पालना कराई जाए और अवमाननाकर्ता अफसरों पर कार्रवाई की जाए। इस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य सचिव को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

गौरतलब है कि सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास, एक निजी सचिव, एक निजी सहायक, लिपिक दो सूचना सहायक, चालक और तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सुविधा का प्रावधान कर दिया था। इसे उच्च न्यायालय ने गलत मानते हुए रद कर दिया था।  

यह भी पढ़ेंः शेखावत के परिजनों को खाली करना ही होगा सरकारी आवास


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.