Coronavirus: राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देश, कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे सरकार
Coronavirus. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं और एक अलग हेल्पलाइन बनाई जाए।
राज्य ब्यूरो, जयपुर। Coronavirus. राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं और एक अलग हेल्पलाइन बनाई जाए, जिस पर किसी भी तरह की मुसीबत में फंसने पर कोरोना संक्रमण से बचाव में जुटे लोग पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों की मदद मांग सकें। राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने अधिवक्ता शालिनी शेरॉन की जनहित याचिका पर ये आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने माना है कि केंद्र व राज्य सरकार इस महामारी से निपटने के लिए जरूरी कदम उठा रही हैं। फिर भी याचिका की चार कॉपियां सरकार के संबंधित विभागों को भेजकर इसमें सुझाए गए उपायों पर विचार करने और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि समाज की सेवा में लगे इन लोगों के साथ कोई अप्रिय घटना न हो। न्यायालय ने सरकार से एक सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। गौरतलब है कि राजस्थान हाई कोर्ट में जरूरी मामलों की सुनवाई वाट्सएप वीडियो कॉल से हो रही है। इस मामले की सुनवाई भी इसी तरह हुई।
शेरॉन ने कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए दायर याचिका में कोर्ट से डॉक्टर्स, नर्स, पुलिसकर्मी व अन्य सुरक्षाकर्मियों एवं सर्वेयर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि डॉक्टर, नर्स, चिकित्साकर्मी लगातार कोरोना संक्रमित और संभावित रोगियों की रात दिन सेवा कर रहे हैं। इसी के साथ सुरक्षाकर्मी, पुलिस, मीडियाकर्मी और सामाजिक संगठन के लोग लगातार काम कर रहे हैं। इनकी सुरक्षा एवं संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि बीते दिनों इनके साथ मारपीट, दुर्व्यवहार की शिकायत आई है।
इनके काम को बाधित किया गया तो पूरी मानवता के लिए संकट खड़ा हो सकता है। शेरॉन ने कोर्ट से सुरक्षा देने के साथ ही कानूनी संरक्षण की भी मांग की थी। याचिका में कहा है कि कोरोना वारियर्स के काम को बाधित करने के लिए झूठे मुकदमे भी कुछ लोग दर्ज करवा सकते हैं। ऐसे में काम के दौरान इस तरह के मुकदमे नहीं होने चाहिए। गौरतलब है कि राजस्थान में सर्वे कार्य में लगे चिकित्साकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं और टोंक, जयपुर सहित कुछ जगह पुलिस में मामले भी दर्ज हुए हैं।