Rajasthan: अदालतों में अब नहीं होगा जाति का उल्लेख
Rajasthan High Court. रजिस्ट्रार जनरल के मुताबिक हाई कोर्ट से लेकर अधीनस्थ अदालतों व ट्रिब्यूनल्स के किसी भी न्यायिक और प्रशासनिक आदेश में जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी कर प्रदेश की सभी अदालतों में जाति का उल्लेख नहीं करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने इसे लेकर प्रशासनिक आदेश सोमवार देर रात जारी किए हैं। रजिस्ट्रार जनरल ने साफ कर दिया है कि हाई कोर्ट से लेकर अधीनस्थ अदालतों और ट्रिब्यूनल्स के किसी भी न्यायिक और प्रशासनिक आदेश में जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा।
रजिस्ट्रार जनरल ने अपने आदेश में जिस न्यायिक आदेश का हवाला दिया है, वो आदेश जस्टिस एसपी शर्मा ने 4 जुलाई, 2018 को बिशन बनाम राज्य सरकार के केस में सुनवाई करते हुए दिया था। इस आदेश में उन्होंने जाति के उल्लेख को संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए हाई कोर्ट की रजिस्ट्री, अधीनस्थ अदालतों को अपने आदेशों में और पुलिस को गिरफ्तारी में जाति का उल्लेख नहीं करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पुलिस तो दूर अदालतें भी स्वयं अपने जज के आदेश की पालना नहीं कर रही थी।
अब इस आदेश का पालन करना होगा, किसी भी कोर्ट में जाति का उल्लेख नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने भी राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए शिकायत मुख्य न्यायाधीश को भेजी है। इसमें भी जाति का उल्लेख नहीं करने का आग्रह किया गया है।
सोशल मीडिया बना बड़ा कारण
दरसअल, जस्टिस एसपी की कोर्ट में पिछले दिनों एक वकील ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बनियान में ही पैरवी शुरू कर दी थी। यह आदेश सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था। यह जमानत का आदेश था, इसमें आरोपित के नाम के आगे जाति का उल्लेख था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबड़े को एक पत्र लिखकर कहा कि राजस्थान हाई कोर्ट के आदेशों में जाति का उल्लेख किया जाता है, जो कि पूरी तरह से गलत है। यह पत्र भी लीगल फर्टेनिटी में वायरल हो गया। उसके बाद रजिस्ट्रार जनरल ने सोमवार रात इसके आदेश जारी किए गए।